05-06-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति

"बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - पूरा वर्सा लेने के लिए एक बाप से पूरी प्रीत रखो, तुम्हारी प्रीत किसी भी देहधारी से नहीं होनी चाहिए''

प्रश्नः-

जो अपने दैवी सम्प्रदाय के होंगे उनके सामने कौन से अक्षर घूमते रहेंगे?

उत्तर:-

जब तुम उन्हें बतायेंगे कि बाप को याद करने से विकर्म विनाश होते हैं और देवी-देवता धर्म की स्थापना होती है तो यह अक्षर उनके सामने घूमते रहेंगे। उनकी बुद्धि में आयेगा हमें देवता बनना है इसलिए हमारा खान-पान शुद्ध होना चाहिए।

गीत:- भोलेनाथ से निराला....

 

गीत:- भोलेनाथ से निराला....


  • ओम् शान्ति।
  • भोलेनाथ के बच्चे सुन रहे हैं।
    • किससे?
    • भोलानाथ से।
    • भोलानाथ शिव को ही कहा जाता है।
    • उनका नाम ही शिव है।
    • भोलानाथ के बच्चे अर्थात् शिव के बच्चे।
    • आत्मायें सुन रही हैं इन कानों से।
    • अभी तुम बच्चे आत्म-अभिमानी बने हो।
  • बच्चे टेप पर भी मुरली सुनते हैं तो समझते हैं शिवबाबा हमको अपना परिचय देते हैं, मैं सभी आत्माओं का बाप हूँ।
    • जिसको तुम परमपिता परम आत्मा यानी परमात्मा कहते हो।
    • उनको सदैव फादर ही कहते हैं।
    • कौन कहते हैं कि वह फादर है?
    • आत्मा।
    • आत्मा को अब ज्ञान मिला है और कोई मनुष्य मात्र को यह ज्ञान नहीं है।
  • हम आत्मा को दो बाप हैं।
    • एक साकार, एक है निराकार।
    • वह परमपिता है, यह समझानी और कोई दे न सके।
    • बाप के सिवाए और कोई यह पूछ न सके।
    • बाप ही पूछते हैं तुम जो कहते हो परमपिता परमात्मा, गॉड फादर, वह तुम किसके लिए कहते हो?
    • क्या लौकिक बाप के लिए वा पारलौकिक बाप के लिए?
    • लौकिक फादर को गॉड फादर कहेंगे?
  • हिन्दी में अक्षर भी है परमपिता।
    • वह तो एक ही निराकार है।
    • ईश्वर, प्रभू वा भगवान कहने से बाप सिद्ध नहीं होता।
    • गॉड फादर अक्षर अच्छा है।
    • आत्मा ने कहा वह हमारा गॉड फादर है।
    • लौकिक फादर तो सिर्फ शरीर का बाप है।
    • तुम सबसे पूछा जाता है, तुमको कितने फादर्स हैं?
    • एक है लौकिक, दूसरा है पारलौकिक।
    • दोनों में बड़ा कौन?
    • जरूर कहेंगे पारलौकिक फादर।
    • उनकी महिमा है - सब पतितों को पावन बनाने वाला पारलौकिक बाप।
    • यह भी अभी तुम समझते हो।
    • दुनिया में यह कोई भी नहीं समझते।
  • बाप ने समझाया है - तुमको पारलौकिक बाप से प्रीत है।
    • औरों की है विनाश काले विप्रीत बुद्धि।
    • विनाश का अभी समय है।
    • वही महाभारत की लड़ाई अब लगनी है।
    • एरोप्लेन, टैंक्स आदि एक दो को सप्लाई कर रहे हैं।
    • सबको देते जाते हैं।
    • पैसे से जिसको जो चाहे उनको देते जाते हैं।
    • उधार पर भी लेते हैं।
    • तो प्लेन, बारूद आदि यह सब खरीद करते हैं।
    • यह सब चीज़े बड़ी महंगी होती हैं।
    • विलायत वाले बनाते हैं, वह फिर बेचते रहते हैं।
    • भारतवासी थोड़ेही एरोप्लेन आदि बेचते हैं।
    • यह सब चीज़े बाहर से आई हुई हैं।
    • अब जो चीज़ खरीद करेंगे सो जरूर काम में लायेंगे।
    • फेंकने के लिए थोड़ेही लेंगे।
    • वह है विनाश काले विप्रीत बुद्धि यादव सम्प्रदाय, जो यूरोप में रहते हैं।
    • उसमें सब आ गये।
  • भारत तो अविनाशी खण्ड है क्योंकि अविनाशी बाप का बर्थ प्लेस है।
    • बाप आते ही तब हैं जब पुरानी दुनिया खत्म होनी है और जन्म वहाँ लेते हैं जहाँ कभी खत्म नहीं होना है।
    • बाप आया था तब तो शिव जयन्ती मनाते हैं परन्तु उन्हों को यह पता नहीं है कि शिवबाबा कब आते हैं।
    • आते भी उस समय हैं जबकि विनाश के लिए तैयारियाँ हो रही हैं।
    • अब बाप कहते हैं वह है यूरोपवासी यादव सम्प्रदाय जो सतयुग में होते नहीं।
    • न बौद्धी, न क्रिश्चियन आदि होते हैं।
    • अब बाप कहते हैं उन्हों की है विनाश काले विप्रीत बुद्धि क्योंकि परमात्मा बाप को सर्वव्यापी कह देते हैं।
    • तुम हो विनाश काले प्रीत बुद्धि।
    • तुम बाप को जानते हो।
  • तुम समझते हो हमने 84 जन्म लिए हैं।
    • 84 जन्मों में पाप आत्मा, तमोप्रधान बन गये हैं।
    • भारतवासियों ने ही 84 जन्म लिए हैं।
    • अब नाटक पूरा होता है, सबको वापिस जाना है।
    • तुमको बाप राजयोग सिखा रहे हैं।
  • यह है सबकी कयामत का समय अर्थात् मौत का समय।
    • तो उन यादवों की भी ईश्वर से प्रीत नहीं है, इसलिए विनाश काले विप्रीत बुद्धि कहा जाता है।
    • कोई भी देहधारी मनुष्य से प्रीत नहीं लगानी है।
    • वह तो है रचना, उनसे वर्सा मिल न सके।
    • भाई को भाई से वर्सा थोड़ेही मिलता है।
    • यह तो अच्छी रीति से समझाया है।
    • तुम बच्चे अभी समझते हो - उनकी है विनाश काले विप्रीत बुद्धि और तुम्हारी है प्रीत बुद्धि।
    • इसमें भी जो तीव्र प्रीत वाले हैं, बाप से पूरी प्रीत रखते हैं।
    • हम बाबा से 21 जन्म स्वर्ग का वर्सा लेते हैं।
    • वह बाबा ही सत्य बताते हैं और कोई से प्रीत नहीं रखनी है।
    • जब नया मकान बनाते हैं तो फिर नये मकान से प्रीत लग जाती है।
    • समझा जाता है पुराना मकान टूट जाना है।
    • तो हम भी पुरानी दुनिया से दिल तोड़ते जाते हैं।
  • बाप समझाते हैं - दिन-प्रतिदिन वायुमण्डल खराब होता जायेगा।
    • देखते हो कितने हंगामें होते हैं, तो समझेंगे कि बस अभी यह खलास होते हैं।
    • हमको जाना है नई दुनिया में।
    • तो नई दुनिया को याद करना पड़े।
  • बेहद के बाप और वर्से को याद करना है और कोई को याद करने से कुछ मिलेगा नहीं।
    • मनुष्य भक्ति मार्ग में तो कितना याद करते हैं।
    • माँ बाप मित्र सम्बन्धियों को याद करते हुए भी फिर देवी-देवताओं को कितना याद करते हैं।
    • पानी में स्नान करते हैं, उनको पतित-पावनी कहते हैं।
  • दिखाते हैं, तीर मारा और गंगा निकल आई।
    • गंगा जल मुख में देते हैं।
    • समझते हैं थोड़ा भी गंगा जल मिलने से मुक्ति को पा लेंगे।
  • बाप कहते हैं यहाँ हैं ज्ञान की बातें।
    • तुम थोड़ा भी ज्ञान सुनते हो तो फल मिल जाता है।
    • यह ज्ञान सुनने की बात है।
    • अमृत पीने की चीज़ नहीं है, यह नॉलेज है।
    • ऐसे नहीं समझो कि भोग के दिन अमृत पिलाते हैं।
    • नहीं, वह तो मीठा पानी है।
    • बाकी यह है ज्ञान की बात।
  • ज्ञान अर्थात् बाप और सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जानना।
    • यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है, कौन 84 जन्म लेते हैं।
    • सब तो ले न सकें।
    • पहले-पहले भारतवासी ही आते हैं।
    • वही पूरे 84 जन्म लेते हैं।
    • जो देवता थे वही 84 जन्म भोग पतित बन जाते हैं।
    • बाप आकर फिर काँटों से फूल बनाते हैं।
    • मनुष्य देह-अभिमान में आकर 5 विकारों में फँस पड़ते हैं।
    • अब है रावण राज्य।
    • सतयुग था दैवी राज्य।
  • शिवबाबा ही स्वर्ग की पुरी रचते हैं।
    • सूर्यवंशी लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
    • अभी तुम जानते हो स्थापना हो रही है।
    • तुम्हारी विनाश काले प्रीत बुद्धि है, इसलिए विजयी हैं।
    • सारे विश्व पर तुम विजय पाते हो।
    • यह अच्छी रीति याद रखना है।
    • हम भारतवासी जो अभी कलियुग में हैं सो फिर बदलकर स्वर्ग में जायेंगे।
    • पुरानी दुनिया को छोड़ना है।
  • यह विकारी सम्बन्ध, इसको बंधन कहा जाता है।
    • तुम विकारी बंधन से निकल निर्विकारी सम्बन्ध में जाते हो फिर दूसरे जन्म में तुम विकारी बंधन में नही आयेंगे।
    • वहाँ है ही निर्विकारी सम्बन्ध, इस समय आसुरी बंधन है।
    • आत्मा कहती है हमारी शिवबाबा से प्रीत है।
    • तुम ब्राह्मणों की प्रीत है क्योंकि यथार्थ रीति जानते हो।
    • बाप को, सृष्टि चक्र को जान तुम फिर औरों को समझाते हो।
  • जितना जो औरों को समझायेंगे तो बहुतों का कल्याण करेंगे।
    • जो जास्ती समझते हैं वही होशियार हैं, ऊंच पद भी वही पाते हैं।
    • सर्विस कम करते हैं तो पद भी कम पायेंगे।
    • पतित तो सारी दुनिया है।
    • हर एक को पतित से पावन होने का रास्ता बताना है और कोई उपाय नहीं है।
    • याद से ही विकर्म विनाश होंगे।
    • जो दैवी सम्प्रदाय के हैं उनके सामने यह अक्षर गूँजेंगे, समझेंगे यह तो ठीक बात है।
    • बरोबर हम देवी-देवता बनते हैं।
    • हमारा भोजन भी शुद्ध चाहिए।
    • दैवीगुण भी यहाँ धारण करने हैं, सर्वगुण सम्पन्न बनना है।
    • अभी तुम बन रहे हो।
  • यह लक्ष्मी-नारायण देवतायें हैं, इनको भोग लगाते हैं तो क्या सिगरेट आदि का भोग लगाते हैं?
    • सिगरेट पीने वाला ऊंच पद पा नहीं सकता।
    • यह कोई दैवी चीज़ नहीं है।
    • सिगरेट पियेंगे वा लहसुन प्याज़ आदि खायेंगे तो और ही गिर जायेंगे।
    • कहते हैं यह छोड़ने से तबियत खराब हो जाती है।
    • बाप कहते हैं - शिवबाबा को याद करो।
    • यह आदतें सब छोड़ दो तो तुम्हारी सद्गति होगी।
    • सिगरेट की आदत तो बहुतों में रहती है।
    • समझानी दी जाती है, देवताओं को कभी भी यह भोग नही लगाया जाता है।
    • तो तुमको इन जैसा यहाँ ही बनना है।
    • तुम छी-छी चीज़ें खाते रहेंगे तो वह बांस आती रहेगी।
    • सिगरेट वा शराब पीने वालों से दूर से ही बांस आती है।
    • तो तुम बच्चों को दैवीगुण धारण करने हैं, वैष्णव बनना है।
    • जैसे विष्णु की सन्तान हैं, तुम विष्णु अर्थात् दैवी सन्तान बनते हो।
    • यहाँ हो तुम ईश्वरीय सन्तान।
  • यह तुम्हारा सर्वोत्तम जन्म है। देवताओं से भी उत्तम तुम हो।
    • तुम औरों को भी उत्तम बनाने वाले हो।
    • यह है बेहद के बाप की मिशनरी।
    • क्रिश्चियन लोगों की मिशनरी होती है ना।
    • अपने क्रिश्चियन धर्म में बहुतों को कनवर्ट करते हैं।
    • यह है ईश्वरीय मिशनरी।
    • तुम शूद्र से ब्राह्मण धर्म में कनवर्ट हो फिर देवता धर्म में कनवर्ट हो जाते हो।
    • तुम जानते हो हम शूद्र से अब ब्राह्मण बने हैं।
    • तुम जीते जी मरे हो फिर जाकर देवता बनेंगे।
    • गर्भ से जन्म मिलेगा।
  • यहाँ तुमको बाप ने धर्म का बच्चा बनाया है, धर्मात्मा बनाने।
    • बाप ने तुमको अपना बनाया है।
    • बच्चों को बाप सिखलाते हैं, ब्राह्मण से फिर देवता बनते हैं।
    • यह मनुष्य कितने ऊंचे हैं, इनमें सब दैवीगुण हैं।
    • जब तुम आत्मा पवित्र बन जायेंगी, तो फिर शरीर भी पवित्र चाहिए।
    • पुराने शरीर को खत्म होना है फिर तुमको शरीर नया सतोप्रधान चाहिए।
    • सतयुग में 5 तत्व भी सतोप्रधान बन जायेंगे।
    • बाप कहते हैं - तुम शूद्र वर्ण में थे।
    • अब फिर ब्राह्मण वर्ण के बने हो फिर दैवी वर्ण में आयेंगे।
    • 84 जन्म लेंगे ना।
    • ब्राह्मण वर्ण को गुम कर दिया है।
  • अब बाप शूद्र से ब्राह्मण बनाए फिर देवता बनाते हैं।
    • अब तुम ब्राह्मण हो चोटी।
    • बाजोली होती है ना।
    • अभी ब्राह्मण हैं फिर देवता, क्षत्रिय.... फिर ब्राह्मण बनेंगे।
    • इसको चक्र कहा जाता है।
    • अभी तुम ब्राह्मण वर्ण में हो।
    • यह नॉलेज अभी है फिर तो प्रालब्ध मिल जायेगी।
  • वहाँ सदा सुखी रहेंगे, 21 जन्म नम्बरवार इस समय के पुरूषार्थ अनुसार।
    • कोई राजाई घराने में, कोई प्रजा में जायेंगे।
    • राजाई घराने में सुख बहुत है फिर कलायें कम होती हैं।
    • तुमको 84 जन्मों का ज्ञान मिला है।
    • स्मृति आई है।
    • बाप आकर समझाते हैं मीठे-मीठे बच्चों, तुम्हारे अब 84 जन्म पूरे हुए हैं।
    • कोई ने 84 जन्म, 80, 50, या 60 जन्म भी लिये हैं।
  • सबसे जास्ती तुम भारतवासी सुख देखते हो।
    • इस ड्रामा में तुम्हारा नाम बाला है।
    • देवताओं से भी तुम ऊंच हो।
    • तुम जानते हो हम सो पूज्य बनते हैं।
    • सतयुग में हम किसको भी पूजते नहीं, न हमको कोई पूजते हैं।
    • वहाँ हम हैं ही पूज्य फिर कलायें कम होती जाती हैं।
    • हम पूज्य से फिर पुजारी बन माथा टेकते हैं।
  • द्वापर में हम पुजारी बनना शुरू करते हैं।
    • अन्त में फिर सभी व्यभिचारी बन जाते हैं।
    • यह शरीर पाँच तत्वों का बना हुआ है, उनकी कोई बैठ पूजा करते हैं तो उसको कहा जाता है भूत पूजा।
    • हर एक में 5 भूत हैं।
    • देह-अभिमान का भूत फिर काम-क्रोध का भूत।
    • भूत सम्प्रदाय कहो अथवा आसुरी सम्प्रदाय कहो, बात एक ही है।
    • बाप आकर फिर दैवी सम्प्रदाय बनाते हैं।
    • बाप आते हैं भूतों से छुड़ाने और अपने साथ योग लगाए देवता बनाते हैं।
    • गुरूनानक ने भी महिमा गाई है कि परमपिता परमात्मा ने मनुष्य को देवता बनाया।
    • वही पतितों को पावन बनाने वाला है।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) ब्राह्मण से देवता बनने के लिए जो भी छी-छी आदतें हैं उन सबको छोड़ना है।
    • शूद्रों को ब्राह्मण धर्म में कनवर्ट कर देवता बनाने के लिए ईश्वरीय मिशन के कार्य में सहयोगी बनना है।
    • शराब, सिगरेट या जो भी गन्दी आदतें है वह निकाल देनी हैं।
  • 2) इस विनाश काल के समय में एक बाप से सच्ची प्रीत रखनी है।
    • पुराना मकान टूटने वाला है इसलिए इससे दिल निकाल नये से लगानी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • श्रेष्ठ वृत्ति द्वारा प्रवृत्ति को प्रगति का साधन बनाने वाले सदा समर्थवान भव
  • प्रवृत्ति में पहले वृत्ति से पवित्र वा अपवित्र बनते हो।
  • यदि वृत्ति को सदा एक बाप के साथ लगा दो, एक बाप दूसरा न कोई - ऐसी ऊंची वृत्ति रहे तो प्रवृत्ति प्रगति का साधन बन जायेगी।
  • वृत्ति ऊंची और श्रेष्ठ है तो चंचल नहीं हो सकती।
  • ऐसी श्रेष्ठ वृत्ति द्वारा प्रगति करते हुए गति-सद्गति को सहज ही पा लेंगे।
  • फिर सब कम्पलेन कम्पलीट हो जायेंगी।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • अगर पवित्रता स्वप्न मात्र भी हिलाती है तो निश्चय का फाउण्डेशन कच्चा है।