04-06-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति
"बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - शिवबाबा और ब्रह्मा बाबा दोनों की मत मशहूर है, तुम्हें दोनों की मत पर चलकर अपना कल्याण करना है''
प्रश्नः-
नम्बरवन ट्रस्टी कौन है और कैसे?
उत्तर:-
शिवबाबा है नम्बरवन ट्रस्टी, उसमें बिल्कुल आसक्ति नहीं।
भक्ति मार्ग में भी तुम उनके अर्थ जो भी दान-पुण्य आदि करते हो, वह सब इनश्योर हो जाता है, जिसका फल दूसरे जन्म में मिलता है।
अभी भी जो बाप के अर्थ अपना सब कुछ इनश्योर करते उनका पूरा रिटर्न बाप देता हैं क्योंकि बाबा कहते - मैं खुद तो सुख भोगता नहीं।
मैं तुम्हारा लेकर क्या करूँगा।
गीत:- दर पर आये हैं कसम लेके....
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ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों ने गीत सुना।
- बच्चे उनको कहा जाता है जो बाप के बनते हैं।
- बाप ने समझाया है यह है अन्तिम मरजीवा जन्म।
- जीते जी बाप का बनना है।
- यह तो बच्चे जानते हैं, श्रीमत गाई हुई है।
- श्रीमत भगवानुवाच।
- गीता में कृष्ण का नाम डाल दिया है परन्तु है शिवबाबा।
- उनके बाद ब्रह्मा फिर कृष्ण।
- श्रीमत कृष्ण की नहीं कहेंगे।
- श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ हमारा बाप है।
- पतित-पावन कृष्ण अथवा राधे आदि को नहीं कहेंगे।
- वह दैवीगुण वाले मनुष्य हैं।
- मनुष्य को पतित-पावन नहीं कहा जाता।
- सतयुग में ऐसे नहीं कहेंगे पतित-पावन आओ।
- पतितों को पावन बनाने वाला एक ही बाप है, जिसकी श्रीमत पर तुम चल रहे हो।
- प्रजापिता ब्रह्मा की मत मशहूर है।
- श्रीमत भी मशहूर है।
- परन्तु उनमें भूल कर देते हैं जो बाप के बदले कृष्ण का नाम डाल दिया है।
- सब धर्म वालों का तो एक ही बाप है।
- कृष्ण को तो सब नहीं मानेंगे।
- क्रिश्चियन लोग क्राइस्ट को फादर मानते हैं, न कि कृष्ण को क्योंकि क्रिश्चियन हैं क्राइस्ट की मुखवंशावली।
- शिवबाबा आकर तुमको अपना बनाते हैं।
- कहते हैं, सिर हथेली पर रख बाप के बने हैं।
- उनके डायरेक्शन पर चलना पड़े।
- तुम्हें बाप को अपनी मत देने की दरकार नहीं रहती।
- वह खुद मत देने वाला है।
- यह तो सब बच्चे हैं।
- शिवबाबा नामीग्रामी है।
- वह जो मत देंगे, जो कुछ करेंगे राइट।
- इस ब्रह्मा को भी मत देते हैं कि यह करो।
- तुम्हारा कनेक्शन ही शिवबाबा से है।
- कोई का भी अवगुण नहीं देखना है, श्रीमत पर चलना है।
- शिवबाबा तो है निराकार।
- उनका यह घर तो है नहीं।
- तुम यहाँ पुराने घर में रहते हो फिर स्वर्ग में जाकर अपने घर में रहेंगे।
- शिवबाबा कहते हैं मैं तो नहीं रहूँगा।
- मैं तो इस समय थोड़े टाइम के लिए आता हूँ।
- तुम हो सच्चे-सच्चे रूहानी सैलवेशन आर्मी।
- सुप्रीम रूह (बाप) डायरेक्शन दे रहे हैं, हूबहू ड्रामा प्लैन अनुसार कल्प पहले मुआफिक।
- कल्प-कल्प जो डायरेक्शन देते होंगे वही देते हैं।
- रात-दिन गुह्य सुनाते रहते हैं।
- नया कोई यह समझ न सके।
- भल कोई 35-40 वर्ष से रहते हैं परन्तु बहुत हैं जो इन गम्भीर बातों को समझते नहीं हैं।
- बाबा तो रोज़ नया सुनाते रहते हैं।
- कराची से लेकर मुरली निकलती आई है।
- पहले बाबा मुरली चलाते नहीं थे।
- रात को 2 बजे उठकर 10-15 पेज लिखते थे।
- बाबा लिखवाते थे फिर उनकी कापियाँ निकलती थी।
- भक्तिमार्ग में तो शास्त्र आदि के कागज सम्भालते हैं।
- दिन-प्रतिदिन बड़ी-बड़ी किताबें बनाते आते हैं।
- कितनी बायोग्राफी बनाते जाते हैं।
- वह फिर पढ़कर रखते हैं।
- तुम तो मुरली पढ़कर फेंक देते हो।
- नहीं तो यह वर्शन्स रखने चाहिए हमेशा के लिए।
- परन्तु नहीं, जानते हैं कि यह सब विनाश हो जायेंगे।
- चित्र आदि जो भी तुम बनाते हो थोड़े समय के लिए हैं।
- फिर यह दब जायेंगे फिर वहाँ न शास्त्र, न चित्र आदि कुछ भी नहीं रहते हैं फिर यह जो कुछ चल रहा है, कल्प बाद भी होगा।
- शास्त्र आदि फिर द्वापर से शुरू होंगे।
- ग्रंथ भी आगे तो हाथ से लिखा हुआ बहुत छोटा था।
- अब बड़ा बनाया है।
- दिन-प्रतिदिन बड़ा बनाते जायेंगे।
- नहीं तो शिवबाबा की जीवन कहानी कितनी लिखनी चाहिए।
- अभी तुम बच्चे कहते हो - परमपिता परमात्मा की जीवन कहानी हम जानते हैं।
- बाप बैठ समझाते हैं - मैं भक्तिमार्ग में क्या करता हूँ।
- भक्ति मार्ग में भी इन्श्योरेन्स करता हूँ।
- ईश्वर अर्थ मनुष्य दान-पुण्य करते हैं ना।
- कहते हैं इसने दान पुण्य किया है ईश्वर अर्थ।
- ईश्वर ने बड़े घर में जन्म दिया है।
- भक्तिमार्ग में धर्मात्मा बहुत होते हैं।
- ईश्वर अर्थ, श्रीकृष्ण अर्थ दान पुण्य करते हैं।
- तो फिर बाप समझाते हैं - मैं बच्चों को दूसरे जन्म में अल्प-काल के लिए फल देता आया हूँ।
- अच्छा वा बुरा फल मिलता तो है ना।
- कितना इन्श्योरेन्स हुआ।
- जो जैसे कर्म करते हैं, उस अनुसार फल मिलता है।
- माया उल्टा काम कराती है, जिससे तुम दु:ख को पाते हो।
- अब मैं तुमको ऐसे कर्म सिखाता हूँ जो कभी दु:ख नहीं होगा और माया भी वहाँ नहीं होती।
- बाकी है मर्तबा, जो जितना इन्श्योर करे।
- शिवबाबा भी ट्रस्टी है ना।
- नम्बरवन ट्रस्टी है।
- दूसरे की आसक्ति जायेगी, कोई ट्रस्टी तो किसका खाना ही खराब कर देते हैं।
- बाप तो देखो कैसा ट्रस्टी है, कहते हैं यह सब कुछ बच्चों के लिए है।
- तुम्हारा सारा कनेक्शन शिवबाबा से है।
- बाप कहते हैं मैं सच्चा ट्रस्टी हूँ।
- मैं खुद सुख नहीं लेता हूँ, बच्चों को सारी राजधानी देता हूँ।
- लौकिक बाप भी बच्चों को सब कुछ वर्से में दे जाते हैं।
- मैं तो स्वर्ग में कुछ भी लेता नहीं हूँ।
- तुमको ही सब देता हूँ।
- तो तुम्हारा कनेक्शन सारा शिवबाबा से है।
- यह बाबा कहते हैं मैंने भी फुल इनश्योर कर लिया।
- तन-मन-धन सब बाप की सर्विस में है।
- सिन्धी में एक कहावत है - हाथ जिसका ऐसे (दाता रूप में) पहला पूर वह पहुँचेंगे।
- बाप को सब इनश्योर करना है।
- दो मुट्ठी चावल दिये तो महल मिल गये।
- अभी देखो मकान बना है, कोई ने एक रूपया भेजा, हमारी ईट भी लग जाए।
- बाप ने लिखा तुमको तो सबसे अच्छे महल मिलेंगे क्योंकि तुम गरीब हो।
- मैं हूँ ही गरीब निवाज़।
- गरीब का एक रूपया तो साहूकार का 10 हजार।
- दोनों को एक ही मर्तबा मिल जाता है।
- साहूकार बहुत मुश्किल आते हैं।
- सबसे कन्यायें तो बिल्कुल फ्री हैं।
- नम्बरवन देखो मम्मा गई।
- उनके पास तो कुछ भी नहीं था।
- गरीब के घर की थी फिर भी नम्बरवन चली गई।
- इसने सब कुछ दिया फिर भी पहले लक्ष्मी फिर नारायण।
- कितना वन्डरफुल खेल है।
- तो कभी किसी बात में संशय नहीं होना चाहिए।
- बापदादा कोई कम थोड़ेही है।
- जरा भी संशय इसमें नहीं लाना चाहिए।
- बहुत मीठा भी बनना है।
- कदम-कदम पर श्रीमत लेनी है।
- नहीं तो माया बहुत नुकसान करा देती है।
- बच्चों को कितने डायरेक्शन देने पड़ते हैं।
- बाबा कहते हैं - पूरा समाचार लिखो।
- बाबा हर प्रकार की सम्भाल करेंगे।
- बाबा को बहुत ख्याल रहता है।
- कहाँ यह बच्चा चढ़ जाए।
- पढ़ाई पर पूरा अटेन्शन चाहिए।
- हम हैं मोस्ट बिलवेड गॉड फादरली स्टूडेन्ट।
- भगवानुवाच भी लिखा हुआ है परन्तु कृष्ण का नाम डाल दिया है।
- कृष्ण भी सभी मनुष्यों से ऊंच ते ऊंच ठहरा ना।
- फर्स्ट प्रिन्स है।
- कृष्ण का नाम देते हैं, नारायण का क्यों नहीं!
- कृष्ण है बालक।
- छोटेपन से बालक सतोप्रधान होता है।
- फिर बचपन से युवा, फिर वृद्ध अवस्था आती है।
- बच्चों की ही महिमा करते हैं क्योंकि पवित्र हैं ना।
- बालक ब्रह्मज्ञानी समान कहते हैं।
- बच्चे से कोई पाप नहीं होता है।
- तो कृष्ण भी छोटा बच्चा होने के कारण उनका बर्थ डे मनाते हैं।
- फिर भी कृष्ण को द्वापर में दिखा दिया है।
- यह सब बाप बैठ समझाते हैं।
- सिवाए तुम ब्राह्मणों के दुनिया में ऐसा कोई नहीं होगा जिसे यह सब बातें पता हों।
- ब्राह्मण हैं उत्तम।
- तुम ब्राह्मण हो ईश्वरीय सन्तान।
- सतयुग में ईश्वरीय सन्तान नहीं कहेंगे।
- ईश्वर से जरूर स्वर्ग की प्राप्ति होगी।
- यह है तुम्हारा अति दुर्लभ अमूल्य जीवन।
- सबका तो हो नहीं सकता।
- यह ड्रामा ऐसा बना हुआ है।
- कल्प पहले जिन्होंने पढ़ा, वह पढ़ रहे हैं।
- भगवान ने जरूर भगवान-भगवती पैदा किये।
- परन्तु भगवान-भगवती कह नहीं सकते।
- गॉड इज वन।
- निराकार की महिमा है।
- साकार की थोड़ेही महिमा होती है।
- इन लक्ष्मी-नारायण को निराकार ने ऐसा बनाया।
- अब राजयोग सीख रहे हैं।
- राजाई स्थापन हुई, तो उस समय विनाश भी हुआ।
- बाप जरूर स्वर्ग का वर्सा देंगे।
- अब तो है संगम की बात।
- शिवबाबा आते हैं, तब खेल पूरा होता है, फिर कृष्ण का जन्म होता है।
- मनुष्य तो बिचारे मूँझ गये हैं, तब तो बाप आकर समझाते हैं।
- परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा सब शास्त्रों का सार बताते हैं।
- अभी तुम जैसे मास्टर नॉलेजफुल हो गये हो।
- आत्मा की ही महिमा है।
- ज्ञान का सागर, आनंद का सागर, ब्लिसफुल, यह बाप की महिमा है।
- बाप कहते हैं - यह भारत तो सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है।
- परन्तु कृष्ण का नाम डालने से सारी महिमा गुम कर दी है।
- नहीं तो सभी शिव के मन्दिर में फूल चढ़ाते, सबका सद्गति दाता वह एक है।
- आधाकल्प तुम प्रालब्ध भोग फिर नीचे आते हो।
- सबको तमोप्रधान बनना ही है।
- अब बाप कहते हैं - तुम बच्चों के लिए नई दुनिया स्थापन कर रहा हूँ।
- उसमें खुद नहीं आता, सब कुछ तुम बच्चों के लिए है।
- साफ बात है।
- मनुष्य तो अपने लिए करते हैं फिर कहते हैं कि हम निष्काम करते हैं।
- परन्तु निष्काम तो कोई कर न सके।
- हर चीज़ का फल जरूर मिलता है।
- मैं तो तुम बच्चों को अविनाशी ज्ञान रत्न देता हूँ।
- तुम्हारे लिए ही वैकुण्ठ लाया हूँ।
- बच्चों को सावरन्टी का सोवीनियर देते हैं।
- तो वह लेने लिए ऐसा लायक बनना चाहिए।
- स्वर्ग का मालिक बनना है।
- हथेली पर बहिश्त मिलता है।
- सेकेण्ड में जीवनमुक्ति अथवा सेकेण्ड में बादशाही।
- दिव्य दृष्टि दाता शिवबाबा है।
- सेकेण्ड में बैकुण्ठ में ले जाते हैं, इस बाबा के हाथ में कुछ भी चाबी नहीं है।
- बाप कहते हैं मैं तुम बच्चों को राजाई देता हूँ।
- मैं नहीं करता हूँ।
- फिर जब तुम भक्ति मार्ग में जायेंगे तब तुमको दिव्य दृष्टि से बहलाना पड़ेगा।
- कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
- ऐसा बाबा कल्प-कल्प, कल्प के संगमयुगे एक ही बार आते हैं।
- बनी बनाई बन रही अब कुछ बननी नाहि... जो कुछ होता है, ड्रामा में नूँध है।
- उसको साक्षी हो देखो।
- बाबा बहुत अच्छी रीति समझाते हैं।
- बच्चे मैं तुम्हारा इन्श्योरेन्श मैगनेट हूँ।
- तुम्हारी एक पाई भी नहीं गॅवाता हूँ।
- कौड़ी से तुमको हीरे तुल्य बनाता हूँ।
- यह सब शिवबाबा करते हैं इनके द्वारा, करनकरावनहार हैं।
- निराकार, निरहंकारी वह है।
- गॉड फादर कैसे बैठ पढ़ाते हैं।
- ऐसे नहीं कहते चरणों में पड़ो।
- बाप ओबीडियन्ट सर्वेन्ट है।
- बाप कहते हैं - जिनको मालिक बनाया, वह सुख भोग-भोग कर अभी दु:खी हुए हैं।
- सुख भी बहुत मिलता है।
- इतना सुख कोई धर्म को नहीं मिलता है।
- ऐसे नहीं कह सकते कि भारतवासियों को क्यों, औरों ने क्या किया?
- अरे इतने ढेर मनुष्य हैं, सब तो नहीं आ सकते हैं।
- यह ड्रामा बना हुआ है।
- भारत में ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म था।
- भगवान ने आकर सहज राजयोग सिखाया था।
- बाप कहते हैं - मैं फिर से आया हुआ हूँ।
- तुम भी जानते हो 84 जन्मों का पार्ट बजाया अब फिर से हम घर जाते हैं।
- यह बहुत पुराना चोला हो गया है (सर्प का मिसाल)।
- संन्यासी लोग फिर कहते हैं आत्मा सो परमात्मा में लीन हो जाती है।
- ऐसी अवस्था में रहते-रहते फिर शरीर छोड़ देते हैं।
- परन्तु ब्रह्म में लीन तो कोई होता नही है।
- उनमें भी कोई-कोई बहुत तीखे होते हैं।
- शान्ति में बैठकर शरीर छोड़ चले जाते हैं तो उनका वायुमण्डल में 2-3 दिन तक सन्नाटा हो जाता है।
- तो तुम जानते हो कि यह पुराना शरीर छोड़ बाबा के पास जाते हैं।
- ब्रह्म तो बाबा नहीं, यह उन बिचारों का भ्रम है।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) इस ड्रामा की हर सीन साक्षी होकर देखना है क्योंकि बनी बनाई बन रही।
- कभी किसी बात में संशय नहीं उठाना है।
- 2) बाप इन्श्योरेन्स मैगनेट है, इसलिए तन-मन-धन बाप की सर्विस में सफल कर अपना भविष्य बनाना है।
- बाप से पूरा-पूरा कनेक्शन रखना है।
- पूरा समाचार देना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- कम शब्दों द्वारा ज्ञान के सर्व राज़ों को स्पष्ट करने वाले यथार्थ और शक्तिशाली भव
- कोई भी चीज़ जितनी अधिक शक्तिशाली होती है उतनी उसकी क्वान्टिटी कम होती है।
- ऐसे ही जब आप अपनी निर्वाण स्थिति में स्थित हो वाणी में आयेंगे तो शब्द कम लेकिन यथार्थ और शक्तिशाली होंगे।
- एक शब्द में हजारों शब्दों का रहस्य समाया हुआ होगा, जिससे व्यर्थ वाणी आटोमेटिक समाप्त हो जायेगी।
- एक शब्द से ज्ञान के सर्व राज़ों को स्पष्ट कर सकेंगे, विस्तार समाप्त हो जायेगा।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- दिल से बाबा कहना अर्थात् खुशी और शक्ति की प्राप्ति करना।
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