03-06-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति

"बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - शिवबाबा तुम्हारे फूल आदि स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि वह पूज्य वा पुजारी नहीं बनते, तुम्हें भी संगम पर फूल हार नहीं पहनने हैं''

प्रश्नः-

भविष्य राज्य तख्त के अधिकारी कौन बनते हैं?

उत्तर:-

जो अभी मात-पिता के दिलतख्त को जीतने वाले हैं, वही भविष्य तख्तनशीन बनते हैं।

वन्डर है बच्चे मात-पिता पर भी विजय प्राप्त करते हैं।

मेहनत कर मात-पिता से भी आगे जाते हैं।

गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन...

 

गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों ने गीत सुना।
    • इस गीत से सर्वव्यापी का ज्ञान तो उड़ जाता है।
    • याद करते हैं, अब भारत बहुत दु:खी है।
    • ड्रामा अनुसार यह सब गीत बने हैं।
    • दुनिया वाले नहीं जानते।
    • बाप आते हैं पतितों को पावन करने वा दु:खियों को दु:ख से लिबरेट कर सुख देने लिए।
    • बच्चे जान गये हैं - वही बाप आया हुआ है।
    • बच्चों को पहचान मिल गई है।
    • स्वयं बैठ बतलाते हैं - मैं साधारण तन में प्रवेश कर सारी सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का राज़ सुनाता हूँ।
  • सृष्टि एक ही है, सिर्फ नई और पुरानी होती है।
    • जैसे शरीर बचपन में नया होता है फिर पुराना होता है।
    • नया शरीर, पुराना शरीर दो शरीर तो नहीं कहेंगे।
    • है एक ही सिर्फ नये से पुराना बनता है।
    • वैसे दुनिया एक ही है।
    • नये से अब पुरानी होती है।
    • नई कब थी?
    • यह फिर कोई बता न सके।
    • बाप आकर समझाते हैं, बच्चे जब नई दुनिया थी तो भारत नया था।
    • सतयुग कहा जाता था।
    • वही भारत फिर पुराना बना है।
    • इसको पुरानी, ओल्ड वर्ल्ड कहा जाता है।
    • न्यु वर्ल्ड से फिर ओल्ड बनी है फिर उनको नया जरूर बनना है।
  • नई दुनिया का बच्चों ने साक्षात्कार किया है।
    • अच्छा उस नई दुनिया के मालिक कौन थे?
    • बरोबर यह लक्ष्मी-नारायण थे।
    • आदि सनातन देवी-देवता उस दुनिया के मालिक थे।
    • यह बाप बच्चों को समझा रहे हैं।
  • बाप कहते हैं - अब निरन्तर यही याद करो।
    • बाप परम-धाम से हमको पढ़ाने, राजयोग सिखाने आये हुए हैं।
    • महिमा सारी उस एक की है, इनकी महिमा कुछ नहीं है।
  • इस समय सब तुच्छ बुद्धि हैं, कुछ नहीं समझते इसलिए मैं आता हूँ तब तो गीत भी बनाया हुआ है।
    • सर्वव्यापी का ज्ञान तो उड़ जाता है।
    • हर एक का पार्ट अपना-अपना है।
    • बाप बार-बार कहते हैं - देह-अभिमान छोड़ तुम आत्म-अभिमानी बनो और आरगन्स द्वारा शिक्षा धारण करो।
    • भल इस बाबा को चलते-फिरते देखते हो परन्तु याद शिवबाबा को करो।
    • ऐसे ही समझो शिवबाबा ही सब कुछ करते हैं।
    • ब्रह्मा है नहीं।
    • भल इनका रूप इन आंखों से दिखाई पड़ता है।
    • तुम्हारी बुद्धि शिवबाबा की तरफ जानी चाहिए।
    • शिवबाबा न हो तो इनकी आत्मा, इनका शरीर कोई काम का नहीं।
    • हमेशा समझो इसमें शिव-बाबा है।
    • वह इन द्वारा पढ़ाते हैं।
    • तुम्हारा यह टीचर नहीं है।
    • सुप्रीम टीचर वह है।
    • याद उनको करना है।
    • कभी भी जिस्म को याद नहीं करना है।
    • बुद्धियोग बाप के साथ लगाना है।
    • बच्चे याद करते हैं फिर से आकर ज्ञान-योग सिखाओ, परमपिता परमात्मा के सिवाए कोई राजयोग सिखा न सके।
  • बच्चों की बुद्धि में है वही बैठ गीता का ज्ञान सुनाते हैं फिर यह नॉलेज प्राय:लोप हो जाता है।
    • वहाँ दरकार ही नहीं।
    • राजधानी स्थापन हो गई।
    • सद्गति हो जाती है।
    • ज्ञान दिया जाता है दुर्गति से सद्गति होने के लिए।
    • बाकी वह तो सब हैं भक्ति मार्ग की बातें।
  • मनुष्य जप-तप, दान-पुण्य आदि जो कुछ करते हैं, सब भक्ति मार्ग की बातें हैं, इससे मुझे कोई मिल नहीं सकता।
    • आत्मा के पंख टूट गये हैं।
    • पत्थरबुद्धि बन गई है।
    • पत्थर से फिर पारस बनाने मुझे आना पड़े।
  • बाप कहते हैं - अब कितने मनुष्य हैं।
    • सरसों मिसल संसार भरा हुआ है।
    • अब सब खत्म हो जाने हैं।
    • सतयुग में तो इतने मनुष्य होते नहीं।
    • नई दुनिया में वैभव बहुत और मनुष्य थोड़े होंगे।
    • यहाँ तो इतने मनुष्य हैं जो खाने के लिए भी नहीं मिलता है।
    • पुरानी रेतीली जमीन है फिर नई हो जायेगी।
  • वहाँ है ही एवरीथिंग न्यु।
    • नाम ही कितना मीठा है - हेविन, बहिश्त, देवताओं की नई दुनिया।
    • पुरानी को तोड़ नई में बैठने की दिल होती है ना।
    • अब है नई दुनिया, स्वर्ग में जाने की बात।
    • इसमें पुराने शरीर की कोई वैल्यु नहीं है।
  • शिवबाबा को तो कोई शरीर है नहीं।
    • बच्चे कहते हैं - बाबा को हार पहनायें।
    • परन्तु इनको हार पहनायेंगे तो तुम्हारा बुद्धियोग इसमें चला जायेगा।
    • शिवबाबा कहते हैं हार की दरकार नहीं है।
    • तुम ही पूज्य बनते हो।
    • पुजारी भी तुम बनते हो।
    • आपेही पूज्य आपेही पुजारी।
    • तो अपने ही चित्र की पूजा करने लगते हैं।
    • बाबा कहते हैं मैं न पूज्य बनता हूँ, न फूल आदि की दरकार है।
    • मैं क्यों यह पहनूँ इसलिए कभी फूल माला आदि लेते नहीं हैं।
    • तुम पूज्य बनते हो फिर जितना चाहिए उतना फूल पहनना।
    • मैं तो तुम बच्चों का मोस्ट बिलवेड ओबीडियन्ट फादर भी हूँ, टीचर भी हूँ, सर्वेन्ट भी हूँ।
    • बड़े-बड़े रॉयल आदमी जब नीचे सही डालते हैं तो लिखते हैं मिन्टो, करजेन आदि... अपने को लार्ड कभी नहीं लिखेंगे।
    • यहाँ तो श्री लक्ष्मी-नारायण, श्री फलाना।
    • एकदम श्री अक्षर डाल देते हैं।
  • तो बाप बैठ समझाते हैं अब इस शरीर को याद नही करो।
    • अपने को आत्मा निश्चय करो और बाप को याद करो।
    • इस पुरानी दुनिया में आत्मा और शरीर दोनों ही पतित हैं।
    • सोना 9 कैरेट होगा तो जेवर भी 9 कैरेट।
    • सोने में ही खाद पड़ती है।
    • आत्मा को कभी निर्लेप नहीं समझना चाहिए।
    • यह ज्ञान तुमको अभी है।
  • तुम आधाकल्प 21 जन्म लिए प्रालब्ध पाते हो तो कितना पुरूषार्थ करना चाहिए!
    • परन्तु बच्चे घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं।
    • शिवबाबा, ब्रह्मा द्वारा हमको शिक्षा दे रहे हैं।
    • ब्रह्मा की आत्मा भी उनको याद करती है।
    • ब्रह्मा, विष्णु, शंकर हैं सूक्ष्मवतनवासी।
    • बाप पहले सूक्ष्म सृष्टि रचते हैं, निर्वाणधाम ऊंच ते ऊंच धाम है।
    • आत्माओं का निर्वाणधाम सबसे ऊंच है।
    • एक भगवान को सब भक्त याद करते हैं।
    • परन्तु तमोप्रधान बन गये हैं तो बाप को भूल, ठिक्कर-भित्तर सबकी पूजा करते रहते हैं।
  • हम जानते हैं जो कुछ चलता है ड्रामा शूट होता जाता है।
    • ड्रामा में एक बार जो शूटिंग होती है। समझो बीच में कोई पंछी आदि उड़ता है तो वही घड़ी-घड़ी रिपीट होता रहेगा।
    • पतंग उड़ता हुआ शूट हो गया तो फिर-फिर रिपीट होता रहेगा।
    • यह भी ड्रामा का सेकेण्ड-सेकेण्ड रिपीट होता जाता है।
    • शूट होता रहता है।
    • यह बना बनाया ड्रामा है।
    • तुम एक्टर्स हो सारे ड्रामा को साक्षी हो देखते हो।
    • एक-एक सेकेण्ड ड्रामा अनुसार पास होता है।
    • पत्ता हिला, ड्रामा पास हुआ।
    • ऐसे नहीं पत्ता-पत्ता भगवान के हुक्म से चलता है।
    • नहीं, यह सब ड्रामा में नूँध है।
    • इनको अच्छी रीति समझना पड़ता है।
    • बाप ही आकर राजयोग सिखलाते हैं और ड्रामा की नॉलेज देते हैं।
  • चित्र भी कितने अच्छे बने हुए हैं।
    • संगमयुग पर घड़ी का कांटा भी लगा हुआ है।
    • कलियुग अन्त सतयुग आदि का संगम है।
    • अभी पुरानी दुनिया में अनेक धर्म हैं।
    • नई दुनिया में फिर यह नहीं होंगे।
  • तुम बच्चे हमेशा ऐसे समझो - हमको बाप पढ़ाते हैं, हम गॉडली स्टूडेन्ट हैं।
    • भगवानुवाच - मैं तुमको राजाओं का राजा बनाता हूँ।
    • राजे लोग भी लक्ष्मी-नारायण को पूजते हैं।
    • तो उन्हों को पूज्य बनाने वाला मैं हूँ।
    • जो पूज्य थे वह अब पुजारी हो गये हैं।
    • तुम बच्चे समझ गये हो हम सो पूज्य थे फिर हम सो पुजारी बने।
    • बाबा तो नहीं बनते हैं।
    • बाबा कहते हैं, न मैं पुजारी हूँ, न पूज्य बनता हूँ इसलिए मैं न हार पहनता हूँ, न पहनाने पड़ते हैं।
    • फिर हम क्यों फूलों को स्वीकार करें।
    • तुम भी स्वीकार नहीं कर सकते हो।
    • कायदे अनुसार उन देवताओं का हक है, उनकी आत्मा और शरीर पवित्र है।
    • वही हकदार हैं फूलों के।
  • वहाँ स्वर्ग में तो हैं ही खुशबूदार फूल।
    • फूल होते ही हैं खुशबू के लिए।
    • पहनने के लिए भी होते हैं।
    • बाप कहते हैं - अभी तुम बच्चे विष्णु के गले का हार बनते हो।
    • नम्बरवार तुमको तख्त पर बैठना है।
    • जिन्होंने जितना कल्प पहले पुरूषार्थ किया है, अब करते हैं और करने लग पड़ेंगे।
    • नम्बरवार तो हैं।
    • बुद्धि कहती है फलाना बच्चा बहुत सर्विसएबुल है।
    • जैसे दुकान में होता है, सेठ बनते हैं, भागीदार बनते हैं, मैनेजर बनते हैं।
    • नीचे वालों को भी लिफ्ट मिलती है।
    • यह भी ऐसे है।
  • तुम बच्चों को भी मात-पिता पर जीत पानी है।
    • तुम वन्डर खाते हो - मात-पिता से आगे कैसे जा सकते हैं।
    • बाप तो बच्चों को मेहनत कर लायक बनाते हैं, तख्तनशीन बनाने लिए इसलिए कहते हैं, अब हमारे दिल रूपी तख्त पर जीत पहनने से भविष्य के तख्तनशीन बनेंगे।
    • पुरूषार्थ इतना करो, जो नर से नारायण बनो।
    • एम ऑब्जेक्ट मुख्य है ही एक, फिर किंगडम स्थापन हो रही है तो उसमें वैरायटी पद है।
    • तुम्हें माया को जीतने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करना है।
    • बच्चों आदि को भी भल प्यार से चलाओ परन्तु ट्रस्टी होकर रहो।
    • भक्ति मार्ग में कहते थे ना - प्रभू यह सब आपका दिया हुआ है।
    • आपकी अमानत आपने ले ली।
    • अच्छा फिर रोने की बात ही नहीं परन्तु यह तो है ही रोने की दुनिया।
  • मनुष्य कथायें बहुत सुनाते हैं।
    • मोहजीत राजा की कथा भी सुनाते हैं।
    • फिर कोई दु:ख फील नहीं होता है।
    • एक शरीर छोड़ जाए दूसरा लिया।
  • वहाँ कभी कोई बीमारी आदि होती नहीं।
    • एवरहेल्दी, निरोगी काया रहती है, 21 जन्म के लिए।
    • बच्चों को सब साक्षात्कार होता है।
    • वहाँ की रसमरिवाज कैसे चलती है, क्या ड्रेस पहनते हैं।
    • स्वयंवर आदि कैसे होते हैं - सब बच्चों ने साक्षात्कार किया है।
    • वह पार्ट सब बीत गया।
    • उस समय इतना ज्ञान नहीं था।
    • अब दिन-प्रतिदिन तुम बच्चों में ताकत बहुत आती जाती है।
    • यह भी सब ड्रामा में नूँधा हुआ है।
    • वन्डर है ना।
  • परमपिता परमात्मा का भी कितना भारी पार्ट है।
    • खुद बैठ समझाते हैं भक्ति मार्ग में भी ऊपर बैठ मैं कितना काम करता हूँ।
    • नीचे तो कल्प में एक ही बार आता हूँ।
    • बहुत, निराकार के पुजारी भी होते हैं परन्तु निराकार परमात्मा कैसे आकर पढ़ाते हैं, यह बात गुम कर दी है।
    • गीता में भी कृष्ण का नाम डाल दिया है तो निराकार से प्रीत ही टूट गई है।
    • यह तो परमात्मा ने ही आकरके सहज योग सिखलाया और दुनिया को बदलाया, दुनिया बदलती रहती है।
    • युग फिरते रहते हैं।
    • इस ड्रामा के चक्र को अभी तुम समझ गये हो।
    • मनुष्य कुछ नहीं जानते।
    • सतयुग के देवी-देवताओं को भी नहीं जानते।
    • सिर्फ देवताओं की निशानियाँ रह गई हैं,
  • तो बाप समझाते हैं, हमेशा ऐसे समझो हम शिवबाबा के हैं।
    • शिवबाबा हमको पढ़ाते हैं।
    • शिवबाबा, इस ब्रह्मा द्वारा हमेशा शिक्षा देते हैं।
    • शिवबाबा की याद में फिर बहुत मज़ा आता रहेगा।
    • ऐसा गॉड फादर कौन?
    • वह फादर भी है, टीचर भी है, सतगुरू भी है।
    • कई बाप बच्चों को पढ़ाते भी हैं तो वह जरूर कहेंगे हमारा यह फादर, टीचर है परन्तु वह फादर गुरू भी हो,
      • ऐसे नहीं होते हैं।
    • हाँ टीचर हो सकता है।
    • फादर को गुरू कभी नहीं कहेंगे।
    • इनका (बाबा का) फादर टीचर भी था, पढ़ाते थे।
    • वह है हद का फादर टीचर।
    • यह है बेहद का फादर टीचर।
    • तुम अपने को गॉडली स्टूडेन्ट समझो तो भी अहो सौभाग्य।
    • गॉड फादर पढ़ाते हैं, कितना क्लीयर है।
    • तो कितना मीठा बाबा है।
    • मीठी चीज़ को याद किया जाता है।
  • जैसे आशिक-माशूक का प्यार होता है।
    • उनका विकार के लिए प्यार नहीं होता है। बस एक दो को देखते रहते हैं।
    • तुम्हारा फिर है आत्माओं का परमात्मा बाप के साथ योग।
  • आत्मा कहती है बाबा कितना ज्ञान का सागर, प्रेम का सागर है।
    • इस पतित दुनिया, पतित शरीर में आकर हमको कितना ऊंच बनाते हैं।
    • गायन भी हैं - मनुष्य से देवता किये करत न लागी वार।
    • सेकेण्ड में बैकुण्ठ में जाते हैं।
    • सेकेण्ड में मनुष्य से देवता बन पड़ते हैं।
    • यह है एम आब्जेक्ट।
    • उसके लिए पढ़ाई करनी चाहिए।
    • गुरू नानक ने भी कहा है ना मूत पलीती कपड़ धोए... लक्ष्य सोप है ना।
    • बाबा कहते हैं मैं कितना अच्छा धोबी हूँ।
    • तुम्हारे वस्त्र, तुम्हारी आत्मा और शरीर कितना शुद्ध बनाता हूँ।
    • तो इनको (दादा को) कभी याद नहीं करना है।
    • यह सारा कार्य शिवबाबा का है, उनको ही याद करो।
    • इनसे मीठा वह है।
    • आत्मा को कहते हैं तुमको इन आंखों से यह ब्रह्मा का रथ देखने में आता है परन्तु तुम याद शिवबाबा को करो।
    • शिवबाबा इनके द्वारा तुमको कौड़ी से हीरे जैसा बना रहे हैं ।
  • अच्छा - मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप के दिल रूपी तख्त पर जीत पाने का पुरूषार्थ करना है।
    • परिवार में ट्रस्टी रहकर प्यार से सबको चलाना है।
    • मोहजीत बनना है।
  • 2) योगबल से आत्मा को स्वच्छ बनाना है।
    • इन आंखों से सब कुछ देखते हुए याद एक बाप को करना है।
    • यहाँ फूल हार स्वीकार न कर खुशबूदार फूल बनना है
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • अपनी चंचल वृत्ति को परिवर्तन कर सतोप्रधान वायुमण्डल बनाने के जवाबदार श्रेष्ठ आत्मा भव
  • जो बच्चे अपनी चंचल वृत्तियों को परिवर्तन कर लेते हैं वही सतोप्रधान वायुमण्डल बना सकते हैं क्योंकि वृत्ति से वायुमण्डल बनता है।
  • वृत्ति चंचल तब होती है जब वृत्ति में इतने बड़े कार्य की स्मृति नहीं रहती।
  • अगर कोई अति चंचल बच्चा बिजी होते भी चंचलता नहीं छोड़ता है तो उसे बांध देते हैं।
  • ऐसे ही यदि ज्ञान-योग में बिजी होते भी वृत्ति चंचल हो तो एक बाप के साथ सर्व सम्बन्धों के बंधन में वृत्ति को बांध दो तो चंचलता सहज समाप्त हो जायेगी।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • अलबेलेपन की लहर को समाप्त करने का साधन है बेहद का वैराग्य।