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ओम् शान्ति।
- बच्चे बाप की याद में बैठे हैं, यह श्रीमत अर्थात् श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत मिलती है।
- याद की यात्रा बहुत मीठी है।
- बच्चे नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार जानते हैं कि जितना बाप को याद करेंगे उतना बाबा स्वीट लगेगा।
- एक बाप ही प्यार करते हैं बाकी तो सब मार देते हैं।
- दुनिया सारी एक दो को ठुकराती है।
- बाप प्यार करते हैं, उनको सिर्फ तुम बच्चों ने जाना है।
- बाप कहते हैं - मैं जो हूँ, जैसा हूँ, कितना बड़ा हूँ, बताओ हमारा बाप कितना बड़ा है?
- तो कहते हैं बिन्दी है और तो कोई जानते नहीं।
- बच्चे भी घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं।
- कहते हैं भक्ति मार्ग में तो बड़े-बड़े चित्रों की पूजा करते थे।
- अब बिन्दी को कैसे याद करें?
- बिन्दी, बिन्दी को ही याद करेगी ना।
- आत्मा जानती है हम बिन्दी हैं।
- हमारा बाप भी ऐसे है।
- आत्मा ही प्रेजीडेन्ट है, आत्मा ही नौकर है।
- बाप है सबसे स्वीट।
- सब याद करते हैं हे पतित-पावन, दु:ख-हर्ता सुख-कर्ता आओ।
- अब तुम बच्चों को यह निश्चय है हम जिसको बिन्दी कहते हैं, वह बहुत सूक्ष्म है परन्तु महिमा कितनी भारी है।
- भल महिमा गाते भी हैं ज्ञान का सागर, शान्ति का सागर है, परन्तु समझते नहीं कि वह कैसे आकर सुख देते हैं।
- मीठे-मीठे चिल्ड्रेन हर एक समझ सकते हैं - कौन-कौन कितना श्रीमत पर चलते हैं।
- श्रीमत मिलती है सर्विस करने की।
- बहुत मनुष्य बीमार रोगी हैं, बहुत हैं जो हेल्दी भी हैं।
- भारतवासी जानते हैं सतयुग में आयु बहुत बड़ी एवरेज 125-150 वर्ष की थी।
- हर एक अपनी फुल आयु पूरी करते हैं।
- यह तो बिल्कुल ही छी-छी दुनिया है जो बाकी थोड़ा समय ही है।
- मनुष्य बड़ी-बड़ी धर्मशालायें आदि अभी तक बनाते रहते हैं।
- जानते नहीं हैं, यह बाकी कितना समय होगी।
- मन्दिर आदि बनाते हैं, लाखों रूपया खर्च करते हैं।
- उनकी आयु बाकी कितना समय होगी?
- तुम जानते हो यह तो टूटे कि टूटे।
- तुमको बाबा मकान आदि बनाने के लिए कभी मना नहीं करते हैं।
- तुम अपने ही घर में एक कमरे में हॉस्पिटल कम युनिवर्सिटी बनाओ।
- बिगर कोई खर्चा, हेल्थ, वेल्थ, हैपीनेस 21 जन्मों के लिए लेना है, इस नॉलेज से।
- यह भी समझाया है - तुमको सुख बहुत मिलता है।
- जब तमोप्रधान बने तब जास्ती दु:ख होता है।
- जितना-जितना तमोप्रधान बनते जायेंगे उतना दुनिया में दु:ख-अशान्ति बढ़ती जायेगी।
- मनुष्य बहुत दु:खी होंगे।
- फिर जय-जयकार हो जायेगी।
- तुम बच्चों ने जो विनाश, दिव्य दृष्टि से देखा है सो फिर प्रैक्टिकल में देखना है।
- स्थापना का साक्षात्कार भी बहुतों ने किया है।
- छोटी बच्चियाँ बहुत साक्षात्कार करती थी।
- ज्ञान कुछ भी नहीं था।
- पुरानी दुनिया का विनाश भी जरूर होना है।
- तुम बच्चे जानते हो - बाप ही आकर स्वर्ग का वर्सा देते हैं।
- परन्तु बच्चों को फिर पुरूषार्थ करना है, ऊंच पद पाने का।
- तुम बच्चों को बाप बैठ, यह सब बातें समझाते हैं, वह थोड़ेही जानते हैं कि बाकी थोड़ा समय है।
- बाप कहते हैं - मैं हूँ दाता, मैं तुमको देने आया हूँ।
- मनुष्य कहते हैं - पतित-पावन आओ, आकर हमको पावन बनाओ।
- बाप कहते हैं - पहले तुम कितने समझदार थे, सतोप्रधान थे।
- अभी तो तमोप्रधान बन पड़े हो।
- तुम्हारी बुद्धि में भी अब आया है, आगे थोड़ेही समझते थे कि हम विश्व पर राज्य करते थे।
- तुम विश्व के मालिक थे फिर जरूर बनेंगे।
- हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होगी।
- बाप ने समझाया है - 5000 वर्ष पहले मैं आया था, तुमको स्वर्ग का मालिक बनाया था।
- फिर तुम 84 जन्मों की सीढ़ी उतरते हो।
- यह विस्तार कोई भी शास्त्र में नहीं है।
- शिवबाबा ने कोई शास्त्र आदि पढ़ा है क्या?
- उनको तो ज्ञान की अथॉरिटी कहा जाता है।
- वो लोग भी शास्त्र आदि पढ़कर शास्त्रों की अथॉरिटी बनते हैं।
- वह भी तो गाते हैं - पतित-पावन आओ।
- गंगा स्नान करने जाते हैं।
- वास्तव में यह भक्ति है ही गृहस्थियों के लिए।
- बाप बैठ समझाते हैं, उनको भी पता नहीं कि सद्गति दाता कौन है।
- बाप समझाते हैं - तुम मुझे बुलाते भी हो, हे पतित-पावन आओ।
- मैं तुमको पावन बनाता हूँ।
- मैं तुमको पढ़ाने के लिए आता हूँ, ऐसे नहीं कि हम पर कृपा करो।
- मैं तो टीचर हूँ, तुम कृपा आदि क्यों माँगते हो?
- आशीर्वाद तो अनेक जन्म लेते आये हो।
- अब आकर माँ-बाप की मिलकियत का मालिक बनो और आशीर्वाद क्या करेंगे!
- बच्चा पैदा हुआ और बाप की मिलकियत का मालिक बना।
- लौकिक बाप को कहते हैं, कि कृपा करो।
- यहाँ तो कृपा की बात नहीं है।
- सिर्फ बाप को याद करना है।
- यह भी किसको पता नहीं है कि बाबा बिन्दू है।
- अभी तुमको बाप ने बताया है, सभी कहते भी हैं परमपिता परमात्मा, गॉड फादर, सुप्रीम सोल।
- तो परम आत्मा ठहरे ना।
- वह है सुप्रीम।
- बाकी सब आत्मायें हैं ना।
- सुप्रीम बाप आकर आप समान बनाते हैं और कुछ नहीं है।
- कोई की बुद्धि में होगा क्या कि बेहद का बाप जो स्वर्ग का रचयिता है, वह आकर स्वर्ग का मालिक बनाते हैं!
- तुम अभी जानते हो, कृष्ण के हाथ में स्वर्ग का गोला है।
- गर्भ से बच्चा बाहर निकलता है तब से आयु शुरू होती है।
- श्रीकृष्ण तो पूरे 84 जन्म लेते हैं।
- गर्भ से बाहर आया, उस दिन से 84 जन्म गिनेंगे।
- लक्ष्मी-नारायण को तो बड़ा होने में 30-35 वर्ष लगे ना।
- तो वह 30-35 वर्ष 5 हजार से कम करना पड़े।
- शिवबाबा का तो गिनती नहीं कर सकते।
- शिवबाबा कब आये, टाइम दे नहीं सकते।
- शुरू से साक्षात्कार होते थे।
- मुसलमान लोग भी बगीचा आदि देखते थे।
- यह नौधा भक्ति तो कोई ने नहीं की।
- घर बैठे आपेही ध्यान में जाते रहते थे।
- वह तो कितनी नौधा भक्ति करते हैं।
- तो बाप बैठ सम्मुख समझाते हैं।
- बाबा दूरदेश से आया है, यह बच्चे जानते हैं।
- इसमें प्रवेश कर हमको पढ़ाते हैं।
- लेकिन फिर बाहर जाने से नशा कम हो जाता है।
- याद रहे तो खुशी का पारा भी चढा रहे और कर्मातीत अवस्था हो जाए, परन्तु उसमें टाइम चाहिए।
- अब देखो, श्रीकृष्ण की आत्मा को अन्तिम जन्म में फुल ज्ञान है फिर गर्भ से बाहर निकलेंगे, पाई का भी ज्ञान नहीं होगा।
- बाप आकर समझाते हैं - कृष्ण ने कोई मुरली बजाई नहीं।
- वह तो ज्ञान जानते ही नहीं।
- लक्ष्मी-नारायण ही नहीं जानते तो फिर ऋषि, मुनि, संन्यासी आदि कैसे जानेंगे।
- विश्व के मालिक लक्ष्मी-नारायण ने ही नहीं जाना तो फिर यह संन्यासी लोग कैसे जानेंगे।
- कहते हैं श्रीकृष्ण सागर में पीपल के पत्ते पर आया, यह किया... यह सब कहानियाँ हैं, जो बैठ लिखी हैं।
- कहते हैं नदी में पैर डाला तो वह नीचे चली गई, विचार करो - मनुष्य क्या-क्या बातें बना सकते हैं।
- अब बाप समझाते हैं, कोई भी उल्टी-सुल्टी बातों पर कभी विश्वास नहीं करना।
- शास्त्र आदि कितने मनुष्य पढ़ते हैं।
- बाप कहते हैं - पढ़ा हुआ सब भूल जाओ।
- इस देह को भी भूल जाओ।
- आत्मा ही एक शरीर छोड़ दूसरा लेकर पार्ट बजाती है।
- भिन्न-भिन्न नाम, रूप, देश चोला पहनकर।
- अब बाप कहते हैं -यह छी-छी वस्त्र हैं।
- आत्मा और शरीर दोनों पतित हैं।
- आत्मा को ही श्याम और सुन्दर कहा जाता है।
- आत्मा पवित्र थी तो सुन्दर थी फिर काम चिता पर बैठने से काले बने हैं।
- अब फिर बाप ज्ञान चिता पर बिठाते हैं।
- पतित-पावन बाप कहते हैं -मुझे याद करो तो यह खाद ही निकल जायेगी।
- आत्मा में ही खाद पड़ती है।
- कलियुग अन्त में तुम गरीब हो।
- वहाँ सतयुग में फिर तुम सोने के महल बनायेंगे।
- वण्डर है, यहाँ हीरों का देखो कितना मान है।
- वहाँ तो पत्थरों मिसल होते हैं।
- अभी तुम बाप से ज्ञान रत्नों की झोली भर रहे हो।
- लिखा हुआ है सागर से रत्नों की थालियाँ भर ले आते हैं।
- सागर से जितना भी चाहिए उतना लो।
- खानियाँ ही भरतू हो जाती हैं।
- तुमने साक्षात्कार किया है।
- माया-मच्छन्दर का भी खेल दिखाते हैं।
- उसने देखा सोने की ईटें पड़ी हैं, ले जाता हूँ।
- नीचे आया तो कुछ था नहीं।
- वहाँ तो सोने की ईटों के महल बनायेंगे।
- ऐसे-ऐसे ख्यालात आने चाहिए तो खुशी का पारा चढ़े।
- शिवबाबा 5 हजार वर्ष पहले भी आया था, यह किसको पता नहीं है।
- तुम जानते हो 5 हजार वर्ष पहले आकर तुमको राजयोग सिखाया था, कल्प-कल्प तुमको ही सिखायेंगे।
- जो-जो आकर ब्राह्मण बनेंगे वह फिर देवता बनेंगे।
- विराट रूप भी बनाते हैं।
- उसमें ब्राह्मणों की चोटी गुम कर दी हैं।
- ब्राह्मणों का कुल बहुत उत्तम गाया जाता है, वह है जिस्मानी।
- तुम हो रूहानी।
- तुम सच्ची-सच्ची कथा सुनाते हो।
- यही सत्य नारायण की कथा, अमरकथा है।
- तुमको अमरकथा सुनाए अमर बना रहे हैं।
- यह मृत्युलोक खत्म होना है।
- शिवबाबा कहते हैं - मैं तुमको लेने आया हूँ।
- कितनी ढेर आत्मायें होंगी।
- आत्मा वापस घर में जाती है तो कोई आवाज थोड़ेही होता है।
- मधुमक्खियों का झुण्ड जाता है तो आवाज कितना होता है।
- रानी के पिछाड़ी मधुमक्खियाँ सब भागती हैं।
- उनकी आपस में कितनी एकता है।
- भ्रमरी का भी मिसाल यहाँ का है।
- तुम मनुष्य से देवता बना देते हो।
- पतितों को तुम ज्ञान की भूँ-भूँ करते हो तो पावन विश्व का मालिक बन जाते हैं।
- तुम्हारा है प्रवृत्ति मार्ग, उसमें भी मैजारिटी माताओं की है इसलिए वन्दे मातरम् कहा जाता है।
- ब्रह्माकुमारी वह जो बाप द्वारा 21 जन्म का वर्सा दिलाती है।
- बाप सदा सुख का वर्सा देते हैं।
- जो सर्विस करेंगे, लिखेंगे-पढ़ेंगे होंगे नवाब...।
- राजा बनना अच्छा वा नौकर बनना अच्छा।
- पिछाड़ी के समय तुमको सब मालूम पड़ जायेगा।
- हम क्या बनेंगे?
- फिर पछतायेंगे।
- हम श्रीमत पर क्यों नहीं चले!
- बाप कहते हैं - फालो करो।
- ऐसे भी नहीं कोई एक कमरा दे देते हैं, सेन्टर के लिए, खुद मीट आदि खाते रहते हैं।
- वह पुण्य आत्मा, वह पाप आत्मा, फिर आश्रम नहीं रहेगा।
- घर में स्वर्ग बनाते हैं तो खुद भी स्वर्ग में होने चाहिए ना।
- सिर्फ आशीर्वाद पर नहीं ठहरना है।
- बाप को याद करना है।
- पवित्र बनाकर ही साथ ले जायेंगे।
- तुमको तो बहुत खुशी रहनी चाहिए, कितनी भारी लाटरी मिलती है।
- बाप को जितना याद करेंगे, उतना विकर्म विनाश होंगे।
- बाप जितना प्यार, दुनिया में कोई कर नहीं सकता।
- उनको कहा ही जाता है - प्यार का सागर।
- तुम भी ऐसे बनो।
- अगर किसको दु:ख दिया, रंज (नाराज) किया तो रंज होकर मरेंगे।
- यह कोई बाबा श्राप नहीं देते हैं, समझाते हैं।
- सुख दो तो सुखी होंगे, सबको प्यार करो।
- बाबा भी प्यार का सागर है।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) किसी भी उल्टी-सुल्टी बात पर विश्वास नहीं करना है।
- जो भी उल्टा पढ़ा है उसे भूल अशरीरी बनने का अभ्यास करना है।
- 2) सिर्फ आशीर्वाद पर नहीं चलना है।
- स्वयं को पवित्र बनाना है।
- बाप को हर कदम में फालो करना है, किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
- नाराज़ नहीं करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- हर संकल्प और कर्म में सिद्धि अर्थात् सफलता प्राप्त करने वाले सम्पूर्ण मूर्त भव
- संकल्पों की सिद्धि तब प्राप्त होगी जब समर्थ संकल्पों की रचना करेंगे।
- जो अधिक संकल्पों की रचना करते हैं वह उनकी पालना नहीं कर पाते इसलिए जितनी रचना ज्यादा उतनी शक्तिहीन होती है।
- तो पहले व्यर्थ रचना बन्द करो तब सफलता प्राप्त होगी और कर्मों में सफलता प्राप्त करने की युक्ति है - कर्म करने से पहले आदि-मध्य और अन्त को जानकर फिर कर्म करो।
- इससे ही सम्पूर्ण मूर्त बन जायेंगे।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- समय पर दु:ख और धोखे से बचकर सफल होने वाला ही ज्ञानी (समझदार) है।
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