26-05-2021 प्रात:मुरली

ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - निश्चयबुद्धि बन बाप की हर आज्ञा पर चलते रहो, आज्ञा पर चलने से ही श्रेष्ठ बनेंगे''

प्रश्नः-

किन बच्चों को सच्चा-सच्चा खुदाई खिदमतगार कहेंगे?

उत्तर:-

जो राजाई पाने का पुरूषार्थ करते हैं और दूसरों को भी आप समान बनाते हैं।

ऐसे ईश्वरीय सेवा पर लगने वाले बच्चे सच्चे-सच्चे खुदाई खिदमतगार हैं।

उन्हें देखकर दूसरे भी सहयोगी बनते हैं।

  • ओम् शान्ति।
  • तुम जब यहाँ बैठते हो तो सबको कहना है कि शिवबाबा को याद करो।
    • यह तो तुम जानते हो शिवबाबा है, उनके मन्दिर में भी जाते हैं परन्तु यह कोई भी नहीं जानते कि शिवबाबा कौन है - सिवाए तुम बच्चों के।
    • तो शिवबाबा की याद दिलानी है।
    • यहाँ बैठे कईयों का बुद्धियोग कहाँ-कहाँ भटकता रहेगा इसलिए तुम्हारा फ़र्ज है याद दिलाना।
    • भाईयों और बहिनों बाप को याद करो, जिस बाप से वर्सा मिलना है।
  • तुम अभी सच्चे भाई-बहिन हो।
    • वह तो सिर्फ मेल, फीमेल के कारण भाई-बहिन कह देते हैं।
    • लेक्चर्स में भी ऐसे कहेंगे - ब्रदर्स सिस्टर्स... वह हैं भाई-बहिन शरीर के नाते से।
    • यहाँ वह बात नहीं है।
    • यहाँ तो आत्माओं को समझाया जाता है कि अपने रचयिता बाप को याद करो, उससे वर्सा मिलना है।
      • फ़र्क है ना।
    • भाई-बहिन अक्षर तो कॉमन है।
  • यहाँ बाप बच्चों को कहते हैं मुझ बाप को याद करो।
    • वह शिवबाबा है रूहानी बाप और प्रजापिता ब्रह्मा है जिस्मानी बाप।
    • तो बापदादा दोनों कहते हैं बच्चे, बाप को याद करो और कहाँ भी बुद्धि योग न जाये।
      • बुद्धि बहुत भटकती है।
      • भक्ति मार्ग में भी ऐसे होता है।
      • कृष्ण के आगे वा किसी भी देवता के आगे बैठते हैं, माला फेरते हैं।
      • बुद्धि कहाँ-कहाँ भागती रहती है।
  • देवतायें कौन हैं?
    • उन्हों को यह राजाई कैसे मिली, कब मिली!
    • यह किसको पता नहीं है।
  • सिक्ख लोग जानते हैं - गुरू नानक ने सिक्ख पंथ स्थापन किया।
    • फिर उनके गुरू पोत्रे चलते आते हैं।
    • वह पुनर्जन्म में आते रहते हैं, यह बातें कोई जानते नहीं।
    • सदैव थोड़ेही गुरूनानक को याद करेंगे।
    • अच्छा समझो, गुरूनानक को वा बुद्ध को वा कोई भी अपने धर्म-स्थापक को याद करते हैं परन्तु यह किसको थोड़ेही पता है कि अभी वह कहाँ है।
    • वह तो कह देते हैं ज्योति ज्योत समाया।
    • वाणी से परे चले गये या कह देते कृष्ण हाज़िरा-हज़ूर है, जिधर देखो कृष्ण ही कृष्ण है।
    • राधे ही राधे है।
      • ऐसे कहते रहते हैं।
  • बाप बैठ समझाते हैं - तुम भारतवासी देवता थे।
    • तुम्हारी सूरत मनुष्य की, सीरत देवता की थी।
    • देवताओं के चित्र तो हैं ना।
    • चित्र ना होते तो यह भी समझते नहीं।
    • राधे-कृष्ण के साथ फिर लक्ष्मी-नारायण का क्या सम्बन्ध है, यह बाप ही आकर समझाते हैं।
  • तुम कोई को भी समझा सकते हो - यह तो निराकार बाबा हमको समझाते हैं।
    • वास्तव में निराकार तो सभी हैं।
    • आत्मा निराकार है, फिर इस साकार द्वारा बोलती है।
      • निराकार तो बोल न सके।
  • तुम समझा सकते हो - हमारा बाबा सो तुम्हारा बाबा है।
    • शिवबाबा ज्ञान का सागर, शान्ति का सागर है।
    • बेहद का बाप है।
    • उनको भी शरीर तो चाहिए ना।
    • खुद कहते हैं - हम इस ब्रह्मा तन में आता हूँ, तब तो इस ब्राह्मण धर्म की स्थापना हो।
    • ब्रह्मा द्वारा रचना होती ही है ब्राह्मणों की।
    • तो बाप ब्राह्मण बच्चों को ही समझाते हैं, दूसरे किसको नहीं समझाते, बच्चों को ही समझाते हैं।
    • ऐसे नहीं कि हम शिवबाबा के बच्चे हैं इसलिए भगवान हैं।
      • नहीं।
      • बाप, बाप है, बच्चे, बच्चे हैं।
    • हाँ, जब बच्चा बड़ा हो, बाप बने, बच्चे पैदा करे तब बाप कहा जाए।
    • इनके तो ढेर बच्चे हैं ना, बच्चों को ही समझाते हैं।
    • जो निश्चयबुद्धि हैं, निश्चयबुद्धि बाप की आज्ञा पर चलेंगे क्योंकि श्रीमत से ही श्रेष्ठ बन सकते हैं।
  • अभी तुम जानते हो हम उन देवताओं जैसे बन रहे हैं।
    • जन्म-जन्मान्तर हम देवताओं की महिमा गाते आये हैं।
    • अब हमको श्रीमत पर ऐसा बनना है, राजाई स्थापन होनी है।
    • सब तो पूरी रीति श्रीमत पर नहीं चलेंगे, नम्बरवार चलेंगे क्योंकि बहुत बड़ी राजाई है।
    • राजाई में प्रजा, नौकर-चाकर, चण्डाल आदि सब चाहिए।
  • ऐसी चलन वालों का भी साक्षात्कार होगा कि यह चण्डाल की फैमिली में जायेंगे।
    • चण्डाल एक तो नहीं होगा, उनकी भी फैमिली होगी।
    • चण्डालों की भी यूनियन होती है।
    • सब आपस में मिलते हैं।
    • स्ट्राइक आदि करें तो सब काम छोड़ दें।
      • सतयुग में तो ऐसी बात होती नहीं।
  • तुम्हारा एक चित्र भी है, जिस पर तुम पूछते हो कि क्या बनने चाहते हो - बैरिस्टर बनेंगे, देवता बनेंगे?
    • तुम्हारी सारी राजधानी स्थापन हो रही है, कम थोड़ेही है।
    • बेहद का बाप, बेहद की बातें बैठ समझाते हैं।
    • यह बुद्धि में बैठ जाना चाहिए।
    • हम भविष्य के लिए पुरूषार्थ कर ऊंच पद पायेंगे।
    • श्रीमत पर हम श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ राजाई पद पायेंगे और फिर दूसरों को जब आप समान बनायें तब कहा जाए खुदाई-खिदमतगार।
  • किसका कुछ भी छिपा नहीं रह सकता है।
    • आगे चल सब मालूम पड़ेगा।
    • इसको ही ज्ञान का प्रकाश कहा जाता है, रोशनी मिलती जाती है।
    • मनुष्यों को कुछ भी पता थोड़ेही पड़ता है।
  • बाम्बस भी अन्दर बनाते रहते हैं।
    • कोई भी चीज़ रखने के लिए थोड़ेही बनाई जाती है।
    • पहले-पहले तलवार से लड़ाई चलती है फिर बन्दूक बनाई, काम में लाने के लिए, रखने लिए नहीं।
    • समझते भी हैं इससे मौत होगा।
    • ट्रायल तो की है ना।
    • हिरोशिमा में एक बाम्ब से कितने मरे थे, उसके बाद देखो फिर कितनी उन्नति की है, कितने ढेर मकान बनाये हैं।
    • अब ऐसा विनाश नहीं होगा जो हॉस्पिटल में पड़े रहें।
    • हॉस्पिटल आदि तो रहेंगे नहीं, इसलिए अर्थक्वेक आदि इकट्ठी होंगी।
    • कुदरती आपदाओं को कोई रोक नहीं सकता।
    • कहते भी हैं - यह सब ईश्वर के हाथ में है।
  • अब तुम बच्चे समझते हो विनाश तो होना ही है, अकाल पड़ना है, पानी नहीं मिलेगा... सो तो तुम जानते हो।
    • कोई नई बात नहीं है।
    • कल्प पहले भी ऐसे हुआ था।
  • कल्प का ज्ञान तो कोई में है नहीं।
    • कहते भी हैं क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले पैराडाइज़ था।
    • फिर शास्त्रों में कल्प की आयु लाखों वर्ष लिख दी है!
    • कोई का भी अटेन्शन नहीं जाता है, सुनकर फिर अपने धन्धे आदि में लग जाते हैं।
  • तो अब बाप बच्चों को समझाते हैं - अब जल्दी-जल्दी पुरूषार्थ करो।
    • याद में रहो तो खाद निकलती जायेगी।
    • तुमको यहाँ ही सतोप्रधान बनना है।
    • नहीं तो सजायें खाकर फिर अपने-अपने धर्म में चले जायेंगे।
    • श्रीमत भगवान की मिलती है।
    • श्रीकृष्ण तो राजकुमार है, वह क्या किसको मत देंगे!
    • इन बातों को दुनिया में कोई भी नहीं जानते।
  • प्यार से समझाना है कि शिव-बाबा को याद करो।
    • शिवबाबा खुद कहते हैं कि मामेकम् याद करो।
    • वह भी कल्याणकारी है और संग तोड़ एक संग जोड़ना है।
  • तुम हो भारत का बेड़ा पार करने वाले।
    • सत्य-नारायण की कथा भी भारत से ही तैलुक रखती है।
    • और धर्म वाले कभी सत्य-नारायण की कथा नहीं सुनेंगे।
    • यह सुनेंगे वह, जो नर से नारायण बनने वाले आदि सनातन देवी-देवता धर्म वाले होंगे।
    • वही अमर कथा सुनेंगे।
    • अमरलोक में देवी-देवता थे तो जरूर अमरलोक में अमर कथा से यह पद पाया होगा।
    • एक-एक बात याद करने लायक है।
    • एक बात भी बुद्धि में अच्छी रीति बैठ जाए तो सब आ जायेंगे।
    • बाप को याद करना है और स्वदर्शन-चक्र ध्यान में रखना है।
    • शिवबाबा के साथ यहाँ पार्ट बजा रहे हैं फिर जाना है।
  • बाप ही समझाते हैं - सच क्या है, झूठ क्या है।
    • सत्य एक है बाकी सब है झूठ।
    • लंका में रावण था एक की बात है क्या!
    • सतयुग-त्रेता में तो ऐसी बात होती नहीं है।
    • यह सारी मनुष्यों की दुनिया लंका है, यह है ही रावण राज्य।
    • सब सीतायें एक राम को याद करती हैं अथवा सब भक्तियाँ, सजनियाँ एक भगवान, साजन को याद करती हैं क्योंकि रावण राज्य है।
    • सन्यासी इन बातों को समझ न सकें।
    • सब दु:खी हैं, शोक वाटिका में हैं, शोक वाटिका है कलियुग।
    • अशोक वाटिका है सतयुग।
    • यहाँ तो कदम-कदम पर शोक है, दु:ख है।
  • तुमको बाबा,
    • अशोक स्वर्ग में ले जाते हैं
    • यहाँ तो मनुष्य कितना शोक करते हैं।
    • कोई मर जाता है तो जैसे पागल हो जाते हैं।
    • स्वर्ग में तो यह सब बातें होती नहीं।
    • अकाले मृत्यु कभी होती नहीं, जो स्त्री विधवा बनें, वहाँ तो समय पर एक चोला छोड़ जाकर दूसरा लेते हैं।
    • मेल वा फीमेल का लेंगे, तो यह साक्षात्कार हो जायेगा।
  • पिछाड़ी में सब मालूम पड़ जायेगा।
    • कौन-कौन क्या बनेंगे।
    • फिर उस समय कहेंगे हमने इतना समय मेहनत नहीं की।
    • परन्तु उस समय कहने से क्या होगा।
    • समय तो बीत गया ना इसलिए बाप कहते हैं - बच्चे मेहनत करो, सर्विस में सच्चे राइट-हैण्ड बनो तो राजाई में आ जायेंगे।
    • सर्विस में लगे रहो।
    • मिसाल भी है ना, कैसे कुटुम्ब के कुटुम्ब सर्विस में लग पड़े हैं।
    • कहेंगे इस कुटुम्ब ने कर्म ऐसे अच्छे किये हुए हैं जो सब ईश्वरीय सर्विस में लग गये हैं।
    • माँ बाप बच्चे... यह तो अच्छा है ना।
    • सर्विस पिछाड़ी चक्र लगाते रहते हैं।
  • तुम बच्चों को बहुत हुल्लास होना चाहिए।
    • कैसे मनुष्यों को रास्ता बतायें, जो उन्हों की आत्मा खुश हो।
    • कितनों को रास्ता बताते हो।
    • यह तुमने प्रजा बनाई, बीज बोया ना।
    • जमते जाम (जन्मते ही राजा) तो कोई होता नहीं।
    • पहले प्रजा के अधिकारी होते हैं फिर पुरूषार्थ करते-करते क्या से क्या बन सकते हैं।
    • तुमको सर्विस पर देख औरों को भी उमंग होगा, हम भी क्यों न ऐसा पुरूषार्थ करें।
    • नहीं तो फिर कल्प-कल्प ऐसा हाल होगा।
    • बहुत आयेंगे, पछतायेंगे।
  • उस समय जैसा दु:ख मनुष्य सारी आयु में कभी नहीं देखते।
    • श्रीमत पर नहीं चलने के कारण पिछाड़ी में ऐसा दु:ख देखेंगे, बात मत पूछो क्योंकि अनेक विकर्म किये हैं।
    • बाबा रास्ता भी बहुत सहज बताते हैं सिर्फ बाप को याद करना है।
    • औरों को भी यह रास्ता बताओ।
  • तुम देवी-देवता धर्म के थे, जैसे क्रिश्चियन धर्म के मनुष्य, इस्लामी धर्म के मनुष्य हैं, वैसे यह हैं।
    • यह हैं सबसे पवित्र।
    • इन जैसा धर्म कोई हो नहीं सकता, आधाकल्प तुम पवित्र रहते हो।
  • स्वर्ग और नर्क गाया हुआ है।
    • हेविन किसको कहा जाता, यह भी किसको पता नहीं है।
    • बाप भारत में ही आकर बच्चों को जगाते हैं।
    • 5 हजार वर्ष की बात है।
    • जो स्वर्गवासी थे वही अब नर्कवासी बने हैं फिर बाप आकर पावन स्वर्गवासी बनाते हैं।
    • एक साजन आकर सब सजनियों को अपनी अशोक वाटिका में ले जाते हैं।
  • तो पहले-पहले सबको यह कहो कि बाप को याद करो।
    • नहीं तो यहाँ बैठे-बैठे बुद्धि कहाँ-कहाँ भटकती रहती है।
    • भक्ति मार्ग में भी यही हाल होता है।
    • बाबा अनुभवी तो है ना।
  • सबसे अच्छा धन्धा जवाहरात का होता है।
    • उनमें सच और झूठ को बड़ा मुश्किल समझते हैं।
    • यहाँ भी सच छिपा हुआ है, झूठ ही झूठ चलता रहता है।
    • यह भी ड्रामा में नूँध है।
  • तुम जानते हो हम सब ड्रामा के एक्टर्स हैं, इनसे कोई भी निकल नहीं सकता।
    • कोई भी मोक्ष को पा नहीं सकता।
    • विवेक से काम लेना होता है।
    • पार्ट में चलते ही जाते हैं फिर कल्प बाद वही पार्ट रिपीट करेंगे।
  • तुम देखेंगे कैसे मनुष्य मरते हैं, विनाश होना है।
    • सब आत्मायें निर्वाण-धाम में चली जायेंगी।
    • यह बुद्धि में ज्ञान है।
    • सर्विस पर लगे रहने से बहुतों का कल्याण होगा।
    • सारा परिवार ही इस ज्ञान में लग जाए तो बड़ा वन्डर हो जायेगा।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) पिछाड़ी की दर्दनाक सीन से वा दु:खों से छूटने के लिए अभी से बाप की श्रीमत पर चलना है।
    • आप समान बनाने की सेवा श्रीमत पर करनी है।
  • 2) सर्विस में बाप का राइट-हैण्ड बनना है।
    • आत्मा को खुश करने का रास्ता बताना है।
    • सबका कल्याण करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सदा मर्यादाओं की लकीर के अन्दर रहने की केयर करने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भव
  • जो बच्चे अपने आपको एक ही बाप अर्थात् राम की सच्ची सीता समझकर सदा मर्यादाओं की लकीर के अन्दर रहते हैं अर्थात् यह केयर करते हैं, वह केयरफुल सो चियरफुल (हर्षित) स्वत: रहते हैं।
  • तो सवेरे से रात तक के लिए जो भी मर्यादायें मिली हुई हैं उनकी स्पष्ट नॉलेज बुद्धि में रख, स्वयं को सच्ची सीता समझकर मर्यादाओं की लकीर के अन्दर रहो तब कहेंगे मर्यादा पुरुषोत्तम।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • सेवा की अति में नहीं जाओ, सेवा और स्व पुरूषार्थ का बैलेन्स रखो।