25-05-2021 प्रात:मुरली

ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - इस ड्रामा के अन्दर विनाश की भारी नूँध है, तुम्हें विनाश के पहले कर्मातीत बनना है''

प्रश्नः-

बाप के किन शब्दों की कशिश सम्मुख में बहुत होती है?

उत्तर:-

बाप जब कहते - तुम मेरे बच्चे हो, तो इन शब्दों की कशिश सम्मुख में बहुत होती है।

सम्मुख सुनने से बहुत अच्छा लगता है।

मधुबन सब बच्चों को आकर्षित करता है क्योंकि यहाँ है ईश्वरीय परिवार।

यहाँ ब्राह्मणों का संगठन है।

ब्राह्मण आपस में ज्ञान की ही लेन-देन करते हैं।

गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं...

 

गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं...


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चे जानते हैं कि हम अविनाशी यात्रा अथवा रूहानी यात्रा पर जा रहे हैं, जिस यात्रा से हम लौटकर मृत्युलोक में नहीं आयेंगे।
    • मनुष्य तो यह बात जानते ही नहीं कि ऐसी यात्रा भी कोई होती है, जहाँ से कभी लौटकर आना न पड़े।
      • तुम लक्की स्टार्स को अभी पता पड़ा है।
      • यह पक्का याद करना है।
  • हम आत्मायें पार्ट बजाती हैं।
    • उस नाटक में ऐसे नहीं कहेंगे कि मुझ आत्मा ने यह वस्त्र पहनकर पार्ट बजाया, अब घर जाते हैं।
    • वो तो अपने को शरीर ही समझते हैं।
    • यहाँ तुम बच्चों को ज्ञान है - हम आत्मा हैं, यह शरीर रूपी कपड़ा छोड़ फिर दूसरा जाकर लेंगे।
  • यह 84 जन्मों के पुराने कपड़े हैं, यह छोड़कर नई दुनिया में फिर नये कपड़े लेंगे।
    • यह लक्ष्मी-नारायण ने नये कपड़े पहने हैं ना!
      • तुम्हारी ही राजधानी के हैं।
      • तुम भी जाए ऐसे नये दैवी कपड़े पहनेंगे।
  • यहाँ तो कहते हैं - मुझ निर्गुण हारे में कोई गुण नाहीं।
    • बाप ही फिर ऐसा गुणवान बनाते हैं।
    • बाप कहते हैं - मेरा भी पार्ट है, आकर फिर तुमको वाइसलेस बनाता हूँ।
    • यहाँ यह है जीवनबन्ध धाम, रावणराज्य है।
    • यह तुम्हारी बुद्धि में है, हम पतित से पावन फिर पावन से पतित कैसे बनते हैं।
      • तुम बच्चे जानते हो - कलियुग है अन्धियारा।
  • रावणराज्य का अब अन्त है, रामराज्य की अब आदि होनी है।
    • अभी है संगम।
    • कल्प के संगमयुगे बाप को ही आना पड़ता है।
    • दुनिया वाले भी अब यह समझ रहे हैं कि अब विनाश का समय है और स्थापना-अर्थ भगवान कहाँ गुप्त वेष में है।
      • अब गुप्त वेष में तो तुम आत्मायें भी हो।
      • आत्मा अलग है, शरीर अलग है।
      • यह मनुष्य चोला गुप्त वेष है।
      • बाप को भी इसमें आना है।
  • तुम्हारे शरीर पर नाम पड़ते हैं, उनको तो शरीर है नहीं।
    • तुम भी आत्मा हो, वह भी आत्मा है।
    • आत्मा का आत्मा के साथ अब मोह हुआ है।
      • गाते भी हैं - और संग तोड़, तुम संग जोड़ेंगे।
      • जैसे आप मोहजीत हो, वैसे हम भी बनेंगे।
  • बाबा बहुत मोहजीत है।
    • कितने ढेर बच्चे हैं, जो काम चिता पर बैठ जल गये हैं।
    • परमपिता परमात्मा आते ही हैं - पुरानी दुनिया का विनाश कराने, फिर मोह कैसे होगा।
    • पतितों का जब विनाश हो तब तो शान्ति का राज्य हो।
  • इस समय सुख तो कोई को भी है नहीं।
    • सभी तमोप्रधान दु:खी बन गये हैं।
    • यह है ही पतित दुनिया।
    • शिवबाबा ही आकर स्वर्ग की स्थापना करते हैं, जिसका नाम शिवालय पड़ा है।
    • शिवबाबा ने देवताओं की राजधानी स्थापन की।
    • वह है चैतन्य शिवालय और वह शिवालय जिसमें शिव का चित्र है वो तो जड़ हो गया।
  • अभी तुम समझ गये हो कि लक्ष्मी-नारायण बरोबर स्वर्ग के मालिक थे।
    • पूज्य थे, अब फिर पूज्य बन रहे हैं।
      • तुमको अभी ज्ञान है।
    • तुम लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में जाकर उनको माथा नहीं टेकेंगे।
      • तुम तो उनकी राजधानी में चैतन्य में जाते हो।
    • जानते हो हम देवता थे, अब नहीं हैं।
    • जो पास्ट होकर गये हैं उनके चित्र बनते हैं।
  • लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर सबसे जास्ती बिड़ला बनाते हैं।
    • तो उनकी भी सर्विस करनी चाहिए।
    • तुम जो यह लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर बनाते हो, हम आपको इन्हों के 84 जन्मों की कहानी सुनाते हैं।
    • युक्ति से यह सौगात देनी चाहिए।
    • बाबा सर्विस की युक्तियाँ तो बताते हैं।
    • मातायें जाकर बोलें आप उनके मन्दिर तो बनाते हो परन्तु उनकी जीवन कहानी को जानते नहीं।
    • हम जानते हैं और समझा भी सकते हैं।
    • समझाने वाली बड़ी रसीली चाहिए।
    • बाप भी बैठ समझाते हैं ना।
  • बाबा कहते - अगर छुट्टी नहीं मिलती हैं तो घर बैठे याद करो।
    • यह तो जानते हो हम शिवबाबा की सन्तान हैं।
    • मुरली तो मिल जाती है।
    • ऐसे नहीं कि यहाँ आने से याद की यात्रा अच्छी होगी, घर में बैठने से याद की यात्रा कम हो जायेगी।
      • बादल आते हैं रिफ्रेश होने।
      • तुम भी आते हो, रिफ्रेश होने।
      • बाबा पास सम्मुख जायें।
  • आत्मा को ज्ञान है, सम्मुख सुनने से अच्छा लगता है।
      • बात तो वही है, देखते हो - शिवबाबा, कैसे बैठ बच्चों को समझाते हैं।
      • "बच्चे तुम मेरे हो'', तुमने 84 जन्मों का पार्ट बजाया है।
      • तुम जन्म-मरण में आते हो, मैं नहीं आता हूँ, मैं पुनर्जन्म नहीं लेता हूँ।
      • अजन्मा भी नहीं हूँ।
      • आता हूँ परन्तु बूढ़े तन में प्रवेश करता हूँ।
      • तुम आत्मा छोटे बच्चे के शरीर में प्रवेश करती हो, मैं परमधाम से आता हूँ, नीचे पार्ट बजाने।
    • मैं विकारी के गर्भ में नहीं आता हूँ।
    • मुझे कहते हो - त्वमेव माताश्च पिता... मेरा कोई माँ बाप हो न सके।
    • मैं सिर्फ शरीर का आधार ले पार्ट बजाता हूँ।
    • तुम मुझे बुलाते हो दु:ख हरकर, सुख देने के लिए।
    • अब सम्मुख आया हूँ, आत्माओं से बात कर रहे हैं।
  • यहाँ तो सब ब्राह्मण ही हैं।
    • तुम बाहर जाते हो तो हंस और बगुले हो जाते हो, यहाँ (मधुबन में) तुमको संग ही ब्राह्मणों का है।
    • आपस में ज्ञान की चिटचैट ही करेंगे।
    • हम अपनी राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
    • बाबा आया हुआ है, एक दो को यह युक्ति - बाप को याद करने की बताते रहो।
    • भोजन पर भी एक दो को ईशारा देते रहो कि बाप को याद करो।
    • बहुत बड़ा संगठन है ना।
    • वहाँ तो विकारी साथ में रहते हैं, तो उनकी कशिश होती है।
    • यहाँ तो किसकी कशिश नहीं होती।
    • वारियर्स, वारियर्स के साथ रहते हैं।
    • तुम्हारा कुटुम्ब यह है।
    • बुद्धि में यही रहता है,
  • जो कोई मिले उनको बाप का परिचय दें कि भगवान को याद करते रहो।
    • दो बाप हैं ना।
    • लौकिक बाप होते भी भगवान को याद करते हो ना।
    • वो लौकिक फादर है।
    • लौकिक फादर को गॉड-फादर नहीं कहेंगे।
    • यह है पारलौकिक बाप, जरूर गॉड-फादर से वर्सा मिलता होगा।
    • ऐसे-ऐसे भूँ-भूँ करते रहो।
    • तुम ब्राह्मण हो ना।
    • संन्यासी भी भूँ-भूँ करते हैं ना।
    • इस दुनिया का सुख काग-विष्टा के समान है, कितना दु:ख है।
    • वह तो हैं हठयोगी, निवृत्ति मार्ग वाले।
    • उनका धर्म ही अलग है।
  • तुम जानते हो - सतयुग में हम कितना सुखी पवित्र रहते हैं।
    • भारत प्रवृत्ति मार्ग का था, देवी-देवताओं का राज्य था।
    • जो पवित्र थे वही पतित बने हैं।
  • पुकारते भी रहते हैं - हे पतित-पावन आओ और फिर कह देते परमात्मा सर्वव्यापी है।
    • हम जाकर ज्योति-ज्योत समायेंगे।
    • पुनर्जन्म को भी नहीं मानते हैं।
    • अनेक मत हैं ना।
    • दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती रहती है।
    • यह भी बताना है कि संन्यासियों की वृद्धि कैसे होती है।
    • नांगों की भी वृद्धि होती है, जिसका जो धर्म है, उसमें ही रहने से फिर अन्त मति सो गति हो जाती है।
    • जिसका जो जास्ती अभ्यास करते हैं जैसे कोई शास्त्र आदि पढ़ते हैं तो अन्त मती सो गति, फिर छोटेपन में ही शास्त्र कण्ठ हो जाते हैं।
  • अभी बाप कहते हैं - मैं फलाना हूँ, यह हूँ, यह सब देह-अभिमान की बातें छोड़ दो।
    • अपने को अशरीरी आत्मा समझो और बाप को याद करो।
    • इस शरीर को देखते हुए भी नहीं देखो।
    • देह सहित देह के जो सम्बन्ध आदि हैं, सबको छोड़ो।
    • अपने को आत्मा निश्चय करो, परमात्मा को याद करो।
    • इसमें टाइम बहुत लगता है।
    • माया याद करने नहीं देती है।
    • नहीं तो वानप्रस्थी के लिए बहुत सहज है।
  • बाप खुद कहते हैं अभी तुम छोटे-बड़े सबकी वानप्रस्थ अवस्था है।
    • एक तरफ विनाश भी होता रहेगा दूसरे तरफ जन्म भी लेते रहेंगे।
    • पुनर्जन्म लेना होगा तो आ जायेंगे।
    • बच्चे भी पैदा होंगे।
    • फिर विनाश भी हो जायेगा।
    • यह तो तुम जानते हो - कोई गर्भ में होंगे, कोई कहाँ, सब खत्म हो जायेंगे।
    • सब अपना हिसाब चुक्तू कर वापिस जायेंगे।
    • हिसाब-किताब रहा हुआ होगा तो अच्छी रीति सजायें खानी पड़ेंगी।
    • फिर वह भी हल्का हो जायेगा।
  • ऐसे नहीं कि योग में भी रहो और पाप भी करते रहो।
    • कई बच्चे एक तरफ चार्ट भी लिखते रहते और फिर कहते माया ने मुँह काला कर दिया।
    • माया ने हरा दिया तो कच्चा कहेंगे ना।
    • तो बाप समझाते हैं कि तुम ऐसे समझो कि हम थोड़े दिन यहाँ हैं फिर चले जायेंगे।
    • इन सबका विनाश हो रहा है।
  • बाप कहते हैं - मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे, अपना चार्ट देखते रहो - हम कितनों को रास्ता बताते हैं और पुरूषार्थ कराते हैं।
    • तन-मन-धन से रूहानी सेवा में मददगार बनना पड़े।
    • कहते हैं मन को अमन नहीं कर सकते।
    • आत्मा तो है ही शान्त।
  • हम आत्मा अपने परमधाम में जाकर बैठेंगी।
    • कोई दुनिया का संकल्प नहीं आयेगा।
    • ऐसे नहीं कि ऑखे बन्द कर अन-कानसेस होना है।
    • ऐसे बहुत सीखते भी हैं।
    • 10-15 दिन अनकानसेस भी हो जाते हैं।
    • यह अभ्यास करते हैं फिर इतने समय बाद जाग जायेंगे।
    • जैसे टाइम बाम्बस होते हैं तो उनका भी टाइम होता है, यह इतने घण्टे बाद फटेंगे।
  • तुम बच्चों को पता है - हम योग लगा रहे हैं।
    • जब तमोप्रधान किचड़ा निकलेगा हम सतोप्रधान बन जायेंगे तो फिर इस शरीर को छोड़ देंगे।
    • हम अभी योग की यात्रा पर हैं।
    • टाइम मिला हुआ है फिर यह शरीर छोड़ना ही है फिर सब खत्म हो जायेगा।
    • टाइम नूँधा हुआ है फिर पिछाड़ी में मच्छरों सदृश्य शरीर छोड़ेंगे।
  • विनाश होगा, तुम कर्मातीत अवस्था को पायेंगे फिर विनाश शुरू हो जायेगा।
    • विनाश का बड़ा भारी सीन है।
    • यह ड्रामा में भारी नूँध है।
    • तुम जानते हो - हमारी अवस्था एकरस रहेगी।
    • खुशी में सदैव हर्षित रहेंगे।
    • यह दुनिया तो खलास होनी ही है।
    • जानते हैं, कल्प-कल्प संगमयुग होता है, तब विनाश होता है।
    • सिर्फ बाम्बस नहीं, नेचुरल कैलेमिटीज़ भी मदद करती हैं।
  • तो बच्चों को यह बुद्धि में रहना चाहिए - अभी हमको जाना है।
    • जितना बाबा को याद करेंगे तो विकर्म विनाश होंगे, ऊंच पद पायेंगे।
    • चैरिटी बिगन्स एट होम।
    • कोशिश करना चाहिए।
  • कन्या वह जो पियर घर और ससुरघर का उद्धार करे।
    • तो चैरिटी बिगन्स एट होम हुआ ना।
    • सर्विस में लगा रहना चाहिए बोलो, शिवबाबा कहते हैं - मुझे याद करो तो वर्सा मिलेगा।
      • सीधी बात है।
    • मुझ अल्फ को याद करोगे तो स्वर्ग का वर्सा तुम्हारा है।
    • विश्व के मालिक तुम बन जायेंगे।
    • अब वर्सा पाना है तो मुझे याद करो।
    • बच्चों का फर्ज है, यह पैगाम देना।
    • आगे भी दिया था।
    • बताना है विनाश सामने खड़ा है।
  • कलियुग के बाद सतयुग आयेगा।
    • बाप ही आकर वर्सा देते हैं।
    • रावण नर्कवासी बनाते हैं।
    • बाप आकर स्वर्गवासी बनाते हैं।
    • कहानी भारत की है।
    • भारतवासियों को खड़ा करना है।
    • पहले शिव के मन्दिर में जाकर समझाना है।
  • यह बाप नई सृष्टि रचने वाला है।
    • कहते हैं - मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हों।
    • यह निराकार बाबा आये हुए हैं।
    • ब्रह्मा द्वारा स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं।
    • अब बाप और वर्से को याद करो।
    • 84 जन्म पूरे हुए हैं।
    • अब हम आपको बताते हैं।
    • अब मानो न मानो, तुम्हारी मर्जी।
    • बातें तो बड़ी अच्छी हैं।
    • बाप ही दु:ख-हर्ता, सुख-कर्ता है।
    • थोड़ा ही समझाया - यह चला।
    • यह है तुम्हारा धन्धा।
    • मेहनत तो कुछ है नहीं।
    • सिर्फ मुख से बोलना है - बाप कहते हैं मुझे याद करो।
    • देही-अभिमानी बनो।
    • शिव के पुजारियों पास जाओ फिर लक्ष्मी-नारायण के पुजारियों के पास जाओ।
    • उन्हें उनकी जीवन कहानी सुनाओ।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) तन, मन, धन से रूहानी सेवा में मददगार बनना है।
    • सबको अल्फ का परिचय दे वर्से का अधिकारी बनाना है।
    • विनाश के पहले कर्मातीत बनने के लिए बाप की याद में रहना है।
  • 2) बाप समान मोह जीत बनना है।
    • आत्मा का आत्मा से जो मोह हो गया है उसे निकाल एक बाप से लगन लगानी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • निराकारी स्थिति के अभ्यास द्वारा मैं पन को समाप्त करने वाले निरहंकारी भव
  • वर्तमान समय सबसे महीन और सुन्दर धागा - यह मैं पन है।
  • यह मैं शब्द ही देह-अभिमान से पार ले जाने वाला भी है तो देह-अभिमान में लाने वाला भी है।
  • जब मैं पन उल्टे रूप में आता है तो बाप का प्यारा बनाने के बजाए कोई न कोई आत्मा का, नाम-मान-शान का प्यारा बना देता है।
  • इस बंधन से मुक्त बनने के लिए निरन्तर निराकारी स्थिति में स्थित होकर साकार में आओ - इस अभ्यास को नेचुरल नेचर बना दो तो निरहंकारी बन जायेंगे।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • किसी की बुरी वा अच्छी बात सुनकर संकल्प में भी घृणा भाव आना - यह भी परमत है।