-
ओम् शान्ति।
- बाप बैठ समझाते हैं, अब बच्चों को यह तो अच्छी तरह मालूम है कि बेहद के बाप को ही कहा जाता है - बिगड़ी को बनाने वाला।
- कृष्ण बिगड़ी को सुधार नहीं सकते।
- गीता का भगवान कृष्ण नहीं, शिव है।
- शिवबाबा रचयिता है और कृष्ण है रचना।
- स्वर्ग का वर्सा देने वाला, स्वर्ग का रचयिता ही हो सकता है।
- यही भारत की मुख्य बड़े ते बड़ी भूल है।
- श्रीकृष्ण को बाबा कोई कह नहीं सकता।
- वर्सा, बाबा से ही मिलता है और भारत को ही मिला था।
- भारत में ही श्रीकृष्ण शहज़ादा, राधे शहज़ादी गाई हुई है।
- महिमा ऊंच ते ऊंच एक बाप की है।
- श्रीकृष्ण है ऊंच ते ऊंच रचना, विश्व का मालिक।
- उनको कहा जाता है सूर्यवंशी डीटी डिनायस्टी।
- गीता आदि सनातन देवी-देवता धर्म का शास्त्र है।
- सतयुग में तो किसको ज्ञान सुनाया नहीं है।
- संगम पर ही बाप ने सुनाया है।
- चित्रों में भी पहले यह सिद्ध करना है।
- दोनों के चित्र देते हैं, गीता का भगवान, यह रचयिता है, जो पुनर्जन्म रहित है, न कि श्रीकृष्ण, रचना।
- तुम जानते हो - शिवबाबा ही हीरे-तुल्य बनाते हैं।
- गाया भी जाता है - हीरे-तुल्य, कौड़ी-तुल्य।
- बच्चों की बुद्धि में यह रहना चाहिए कि बाप का फरमान है - तुम मुझे याद करो और वर्से को याद करो।
- वह है बेहद का बाप।
- कृष्ण तो है हद का मालिक।
- भल विश्व का राजा बनता है, शिवबाबा तो राजा नहीं है ना।
- गीता की वास्तव में बड़ी महिमा है।
- साथ-साथ भारत की भी महिमा है।
- भारत सब धर्म वालों का बड़ा तीर्थ है।
- सिर्फ कृष्ण का नाम डालने के कारण सारा महत्व उड़ गया है।
- इस कारण ही भारत कौड़ी-तुल्य बन गया है।
- है तो ड्रामा अनुसार परन्तु सावधान करना होता है।
- बाप समझाते बहुत अच्छी रीति हैं।
- दिन-प्रतिदिन गुह्य बातें सुनाते रहते हैं तो फिर पुराने चित्रों को बदल कर दूसरा बनाना पड़े।
- यह तो अन्त तक होता ही रहेगा।
- बच्चों को बुद्धि में अच्छी रीति रखना चाहिए - शिवबाबा हमको वर्सा दे रहे हैं।
- कहते हैं - मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
- कृष्ण को याद करने से विकर्म विनाश नहीं होंगे।
- वह सर्वशक्तिमान् तो है नहीं।
- सर्वशक्तिमान् बाप है, वर्सा भी वह देते हैं।
- मनुष्य, कृष्ण को ही याद करते रहते हैं।
- अच्छा समझो, कृष्ण ने कहा है।
- वह भी कहते हैं - देह के सम्बन्ध छोड़, मामेकम् याद करो।
- आत्मा तो बाप को याद करेगी ना।
- कृष्ण तो सभी आत्माओं का बाप नहीं है।
- यह सब विचार सागर मंथन कर बुद्धि में धारण करना चाहिए।
- कोई-कोई मोह में फँसने के कारण फिर धारणा नहीं कर सकते हैं।
- तुम गाते आये हो - और संग तोड़ आप संग जोड़ेंगे।
- मेरा तो एक, दूसरा न कोई।
- परन्तु मोह फिर ऐसी चीज़ है जो एकदम बन्दर बना देते हैं।
- बन्दर में मोह और लोभ बहुत होता है।
- साहूकार लोगों को भी समझाया जाता है कि अभी मौत सामने खड़ा है।
- यह सब ईश्वरीय सेवा में लगाओ, भविष्य बना लो।
- परन्तु बन्दर मुआफिक लटक पड़ते हैं, छोड़ते नहीं हैं।
- बाप कहते हैं - जो भी देह सहित, देह के सम्बन्ध हैं उनसे बुद्धियोग हटाओ।
- बाप की श्रीमत पर चलो।
- तुम कहते हो - यह धन, बाल-बच्चे आदि सब ईश्वर ने दिया है।
- अब वह खुद आये हैं, कहते हैं - तुम्हारा यह धन-दौलत आदि सब खत्म हो जाना है।
- किनकी दबी रही धूल में..... अर्थक्वेक आदि होगी, यह सब खलास हो जायेगा।
- एरोप्लेन गिरते हैं वा आग आदि लगती है तो पहले-पहले अन्दर चोर घुसते हैं, जब तक पुलिस आये।
- तो बाप समझाते हैं - बच्चे, देहधारियों से मोह निकालना चाहिए।
- मोहजीत बनना है।
- देह-अभिमान है सबसे पहला नम्बर दुश्मन।
- देवतायें देही-अभिमानी हैं। देह-अभिमान आने से ही विकारों में फँसते हैं।
- तुम आधाकल्प देह-अभिमानी रहते हो।
- अब देही-अभिमानी होने की प्रैक्टिस करनी है।
- जो भी मनुष्य मात्र हैं बिल्कुल ही इन बातों को नहीं जानते हैं, न परमात्मा को जानते हैं।
- आत्मा क्या है, परमात्मा क्या है, आत्मा कितने जन्म लेती है, कैसे पार्ट बजाती है, हम एक्टर्स हैं - यह किसको पता नहीं है, इसलिए आरफन निधनके कहा जाता है।
- वह तो कह देते आत्मा ज्योति में लीन हो जाती है।
- परन्तु आत्मा तो अविनाशी है।
- आत्मा में ही 84 जन्मों का पार्ट नूँधा हुआ है।
- कहते भी हैं आत्मा स्टार है, फिर भी समझते नहीं।
- आत्मा सो परमात्मा कह देते हैं, बाप को बिल्कुल जानते नहीं।
- आत्मा के लिए भी कहते हैं भ्रकुटी के बीच में सितारा चमकता है।
- परमात्मा के लिए तो कुछ बताते नहीं हैं।
- उनको परम-आत्मा कहा जाता है, वह भी परमधाम में रहते हैं।
- वह भी बिन्दी है।
- सिर्फ पुनर्जन्म रहित है, आत्मायें पुनर्जन्म में आती हैं।
- परमात्मा के लिए कहा जाता है ज्ञान का सागर, आनंद का सागर, पवित्रता का सागर है।
- देवताओं को यह वर्सा किसने दिया?
- बाप ने।
- सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण... इन देवताओं जैसा अभी कोई है नहीं।
- उन्हों को यह वर्सा कैसे मिला, यह कोई को पता नहीं।
- बाप ही आकर समझाते हैं, उनको ही ज्ञान का सागर कहा जाता है।
- इस समय आकर ज्ञान देते हैं फिर प्राय: लोप हो जाता है।
- फिर होती है भक्ति, उनको ज्ञान नहीं कहा जा सकता।
- ज्ञान से तो सद्गति होती है।
- जब दुर्गति हो, तब सर्व का सद्गतिदाता, ज्ञान का सागर आये।
- बाप ही आकर ज्ञान स्नान कराते हैं। वह तो पानी का स्नान है, उससे सद्गति हो नहीं सकती।
- यह थोड़ी बातें भी धारण करनी चाहिए।
- मुख्य जो अच्छे-अच्छे चित्र हैं, वह बड़े होने चाहिए जो कोई अच्छी रीति समझ जाये।
- अक्षर बड़े अच्छे हों।
- चित्र बनाने वालों को यह बुद्धि में रखना चाहिए।
- किसी को भी बुलाना है - निमन्त्रण देकर कि आकर परमपिता परमात्मा का परिचय लो और भविष्य 21 जन्म के लिए बाप से वर्सा लो।
- भाइयों-बहिनों पारलौकिक बाप से बेहद सुख का स्वराज्य कैसे मिलता है - सो आकर समझो।
- बेहद के बाप से वर्सा पाना सीखो, इसमें डरने की तो बात ही नहीं।
- बुलाते रहते हैं - हे पतित-पावन आओ।
- बाप भी कहते हैं - काम महाशत्रु है।
- पावन दुनिया में जाना है तो पवित्र जरूर बनना है।
- पतित उनको कहा जाता है जो विकार से जन्म लेते हैं।
- सतयुग त्रेता में विष होता नहीं, उनको कहा ही जाता है सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया।
- विकार है ही नहीं।
- फिर यह तुम क्यों पूछते हो - बच्चे कैसे पैदा होते हैं?
- तुम निर्विकारी तो बनो।
- बच्चा जैसे होना होगा वैसे होगा।
- तुम यह पूछते ही क्यों हो?
- तुम बाप को याद करो तो जन्म-जन्मान्तर के विकर्म विनाश हो जायें, यह है ही पाप आत्माओं की दुनिया।
- वह है पुण्य आत्माओं की दुनिया।
- यह अच्छी रीति बुद्धि में बिठाना है।
- भक्ति का फल भगवान आकर देते हैं, बाप ही सर्व की सद्गति कर स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।
- बाप कहते हैं - अब पवित्र बनो, मामेकम् याद करो, यह है महामन्त्र।
- बाप से वर्सा जरूर मिलेगा।
- बाप कहते हैं - तुम मुझे याद करो तो तुम सतोप्रधान बन जायेंगे।
- सीढ़ी पर समझाना है।
- दिन-प्रतिदिन हर चीज़ सुधरती जाती है, इनमें क्लीयर कर लिखना है।
- ब्रह्मा द्वारा आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना।
- जब आदि सनातन देवी-देवता धर्म था तो और कोई धर्म नहीं था।
- जो पवित्र बनते हैं वही पवित्र दुनिया में आयेंगे।
- जितनी ताकत तुम्हारे में भरती जायेगी, उतना पहले आयेंगे।
- सब इकट्ठे तो नहीं आयेंगे।
- यह भी जानते हो सतयुग-त्रेता में देवी-देवतायें बहुत थोड़े होते हैं, पीछे वृद्धि को पाते हैं।
- प्रजा में तो ढेर होंगे।
- समझाने वाले भी बड़े अच्छे चाहिए।
- बोलो, बेहद के बाप से आकर के वर्सा लो, जिसको पुकारते हो हे बाबा, उनका वास्तव में नाम ही शिव है।
- ईश्वर वा प्रभू, भगवान कहने से यह नहीं समझते कि वह बाप है, उनसे वर्सा मिलना है।
- शिवबाबा कहने से वर्सा याद आता है।
- उनको कहते हैं शिव परमात्माए नम:, परमात्मा का नाम तो बताओ।
- नाम-रूप से न्यारा कोई नहीं है।
- उनका तो शिव नाम है।
- सिर्फ शिवाए नम: भी नहीं कहना है, शिव परमात्माए नम:।
- हर एक अक्षर को बहुत अच्छी रीति क्लीयर कर समझाना होता है।
- शिवाए नम: कहने से भी बाप का मज़ा नहीं आता।
- मनुष्यों ने तो सब नाम अपने ऊपर रख दिये हैं।
- तुम जानते हो मनुष्य को कभी भगवान नहीं कहा जाता है।
- ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को भी देवता कहा जाता है।
- बाप रचयिता तो एक ही निराकार है।
- जैसे लौकिक बाप बच्चों को रचते हैं ना, वर्सा देते हैं, वैसे बेहद का बाप भी वर्सा देते हैं।
- भारत को विश्व का मालिक बनाते हैं।
- सारी दुनिया का पतित-पावन एक ही बाप है।
- यह थोड़ेही कोई जानते हैं।
- हमारे धर्म स्थापक भी इस समय पतित हैं, कब्रदाखिल हैं।
- अभी सबकी कयामत का समय है।
- बाप ही आकर सबको उठायेंगे।
- कयामत के समय ही खुदा, भगवान आते हैं।
- वही ज्ञान का सागर है।
- लिखा हुआ है - सागर के बच्चे भस्मीभूत हो गये थे अर्थात् काम चिता पर बैठ काले, आइरन एजेड बन गये थे, फिर सुन्दर कैसे बनेंगे?
- बाप कहते हैं याद की यात्रा से।
- योग अक्षर कहने से मनुष्य मूँझ जाते हैं।
- बाप कहते हैं - मुझे याद करो तो अन्त मती सो गति हो।
- कितना सहज समझाते हैं फिर भी यह बातें बुद्धि में क्यों नहीं बैठती हैं?
- देह-अभिमान बहुत है इसलिए धारणा नहीं होती है।
- बाबा बड़ी अच्छी युक्ति बताते हैं।
- बेहद के बाप ने, जिसको याद करते हैं उसने क्या आकर किया?
- भारत को स्वर्ग बनाया था।
- हद का वर्सा तो जन्म-जन्मान्तर लेते आये हो।
- अब बेहद के बाप से 21 जन्म के लिए बेहद का वर्सा लो।
- सतयुग-त्रेता में देवतायें राज्य करते थे।
- सूर्यवंशी फिर चन्द्रवंशी सो वैश्य वंशी फिर शूद्र वंशी... सो अक्षर डालने से सिद्ध होता है कि वही पुनर्जन्म लेते हैं, वर्णों में आते हैं।
- बाप समझाते तो सबको हैं, तुम सम्मुख बैठे हो तो खुश होते हो।
- कोई-कोई की तकदीर में नहीं है तो सर्विस करते नहीं हैं।
- सर्विस करेंगे तो नाम होगा।
- कहेंगे बाबा की बच्चियाँ कितनी होशियार हैं, सब काम करती हैं।
- हमको स्वर्ग की बादशाही का वर्सा देती हैं, यह वक्खर (माल) भी देती हैं।
- यह चित्र हैं - अन्धों के आगे आइना, इसमें जादू आदि की बात ही नहीं है।
- पवित्रता की ही मुख्य बात है।
- समझते हैं - यह अन्तिम जन्म है, स्वर्ग में चलना है तो पवित्र जरूर बनना है।
- विनाश सामने खड़ा है।
- पावन जरूर बनना पड़े।
- संन्यासी घरबार छोड़ते हैं - पावन बनने के लिए।
- बाप कहते हैं विनाश सामने खड़ा है, मुझे याद करो तो बेड़ा पार हो जाए।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) विनाश के पहले अपना सब कुछ सफल करना है।
- यह कयामत का समय है इसलिए पावन जरूर बनना है।
- 2) देहधारियों से मोह निकाल मोहजीत बनना है।
- देह-अभिमान जो पहला नम्बर दुश्मन है उस पर विजय पानी है।
- और सब संग तोड़, बाप से बुद्धियोग जोड़ना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- मनन शक्ति द्वारा शक्तिशाली बन विघ्नों के फोर्स को समाप्त करने वाले सर्व आकर्षण मुक्त भव
- वर्तमान समय मनन शक्ति द्वारा आत्मा में सर्व शक्तियां भरने की आवश्यकता है।
- इसके लिए अन्तर्मुखी बन हर प्वाइंट पर मनन करो तो मक्खन निकलेगा और शक्तिशाली बन जायेंगे।
- ऐसी शक्तिशाली आत्मायें अतीन्द्रिय सुख की प्राप्ति का अनुभव करती हैं, उन्हें अल्पकाल की कोई भी वस्तु अपने तरफ आकर्षित नहीं कर सकती।
- उनकी मगन अवस्था द्वारा जो रूहानियत की शक्तिशाली स्थिति बनती है उससे विघ्नों का फोर्स समाप्त हो जाता है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- ब्राह्मण संसार में सर्व का सम्मान प्राप्त करने वाले ही तख्तनशीन बनते हैं।
|