ज्वालामुखी बन प्रकृति और आत्माओं के अंदर जो तमोगुण है उसे
भस्म करने वाले बनो।...
Avyakt Baapdada - 21.12.1989
"...जैसे देवियों के यादगार में
दिखाते हैं कि
ज्वाला से असुरों को भस्म कर दिया।
असुर नहीं लेकिन
आसुरी शक्तियों को खत्म कर दिया।
यह किस समय का यादगार है?
अभी का है ना।
तो ऐसे ज्वालामुखी बनो।
आप नहीं बनेंगे तो कौन बनेगा!
तो अभी ज्वालामुखी बन
आसुरी संस्कार, आसुरी स्वभाव
सब कुछ भस्म करो।
अपने तो कर लिये हैं ना
या अपने भी कर रहे हो?
अच्छा!
पंजाब वाले निर्भय तो बन गये।
डरने वाले तो नहीं हो न?
ज्वालामुखी हो, डरना क्यों?
मरे तो पड़े ही हो,
फिर डरना किससे?
और राजस्थान को तो
‘‘राज्य-अधिकारी''
कभी भूलना नहीं चाहिए।
राज्य भूल करके
राजस्थान की रेती तो
याद नहीं आ जाती ?
वहां रेत बहुत होती है ना!
तो सदा नये राज्य की
स्मृति रहे।
सभी निर्भय
ज्वालामुखी बन
प्रकृति और आत्माओं के अंदर
जो तमोगुण है उसे
भस्म करने वाले बनो।
यह बहुत बड़ा काम है,
स्पीड से करेंगे तब पूरा होगा। ..."
|