गीत:- खुशियों भरी जिन्दगानी हमारी...


ब्राह्मण-जीवन है ही खुशी की...


Avyakt Baapdada - 02.01.1990



"...ब्राह्मण-जीवन है ही खुशी की।

खुशी से खाना,

खुशी से रहना,

खुशी से बोलना,

खुशी से काम करना।

 

उठते ही आँख खुली और

खुशी का अनुभव हुआ।

रात को ऑख बंद हुई,

खुशी से आरामी हो गये

यही ब्राह्मण जीवन है।


जो आज्ञा पालन करता है।

चाहे किसी की भी,

एक ने कहा दूसरे ने माना,

तो खुशी होती है।

 

दिल से एक दो के प्रति

दुआयें निकलती है।

कोई अच्छा दोस्त या भाई हो,

अगर कहते यह बहुत अच्छा है।

तो यह दुआयें हुई ना!

 

 

किसी को भी ' हाँ जी '' करना

वा आज्ञा मानना,

इसकी गुप्त दुआयें मिलती है ।

 

 

तो दुआयें समय पर

बहुत मदद देती है ।

उस समय पता नहीं पड़ता है।

उस समय तो साधारण बात लगती है

चलो हो गया।

 

 

लेकिन यह गुप्त दुआयें

आत्मा को समय पर

मदद देती है।

यह जमा हो जाती है।

इसलिए बापदादा देखकर खुश है।..."

 

 

 

 

 

 

 

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